लखनऊ
उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को झटका लगा है. प्रदेश में बीएसपी नेताओं और समर्थकों का लगातार टूटने का दौर जारी है. इसी कड़ी में गुरुवार को भी पार्टी के कई नेता भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए. इनमें रामपुर मनिहारन के पूर्व विधायक और बीएसपी के पूर्व जोनल को-ऑर्डिनेटर रविंद्र कुमार मोल्हू का नाम शामिल है. उन्हें बीजेपी मुख्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. उनके अलावा सहारनपुर में बीएसपी के जिलाध्यक्ष ऋषिपाल गौतम ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. यही नहीं, गंगोह विधानसभा के बीएसपी अध्यक्ष धर्मेंद्र गौतम सहित बड़ी संख्या में समर्थकों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.
अभी हाल में बीएसपी संस्थापक कांशीराम के साथी रहे पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद मायावती का साथ छोड़कर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आ गए. उत्तर प्रदेश की बस्ती लोकसभा सीट से बीएसपी के पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया. लालमणि ने अपना इस्तीफा बीएसपी अध्यक्ष मायावती को भेज दिया.
संयोगवश, बीएसपी की कमान जबसे मायावती ने संभाली है, तभी से पार्टी पर विभाजन का खतरा मंडराता रहा है. बीएसपी में पहला विभाजन 1995 में हुआ, जब लखनऊ में राज्य गेस्ट हाउस कांड हुआ और तत्कालीन राज्य बीएसपी अध्यक्ष राज बहादुर, कुछ अन्य विधायकों के साथ समाजवादी पार्टी में चले गए. बीएसपी ने 1993 चुनावों में 67 सीटें जीती थी और कुछ विधायक मायावती की सौदेबाजी को लेकर नाराज थे.
बीएसपी में सबसे बड़ा विभाजन 1997 में हुआ, इस बार भी बीएसपी के पास 67 सीटें थीं. इस बार मायावती ने बीजेपी से समर्थन वापस लिया था. बीएसपी के 20 विधायकों ने अलग होकर जनतांत्रिक बहुजन समाज पार्टी बनाई और कल्याण सिंह सरकार को समर्थन दिया. सभी को मंत्री बनाया गया.(एजेंसी से इनपुट)