भोपाल
नीट यू.जी. 2019 के परीक्षा परिणाम के आधार पर शासन द्वारा राज्य के शासकीय एवं निजी चिकित्सा/दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में स्टेट कोटे के अन्तर्गत एम.बी.बी.एस. और बी.डी.एस. पाठ्यक्रम की सीटों पर प्रवेश के लिये काउंसलिंग की गई। सत्र 2019-20 में इन महाविद्यालयों में उपलब्ध कुल 4,303 सीटों में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय की 1,870, शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय की 63, निजी चिकित्सा महाविद्यालय (एम.बी.बी.एस.) की 1,150 तथा निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय की 1,220 सीटें शामिल हैं। स्टेट कोटे की सीटों पर राज्य स्तरीय संयुक्त काउंसलिंग से 3,759 और ऑल इण्डिया कोटे की सीटों पर ऑल इण्डिया ऑनलाईन काउंसलिंग से 220 सीटों को मिलाकर कुल 3,979 सीटों पर प्रवेश हुए। राज्य स्तरीय संयुक्त काउंसलिंग पूर्णत: ऑनलाईन पद्धति से पूरी पारदर्शिता रखते हुए की गई। शासकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में ओपन केटेगरी की सभी एम.बी.बी.एस. सीटों पर राज्य के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों का प्रवेश हुआ है।
काउंसलिंग प्रक्रिया के बारे में किसी भी प्रकार की कोई शिकायत अभ्यर्थी, संस्था, अभिभावक अथवा किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा नहीं की गई। न्यायालय में भी इससे संबंधित कोई याचिका दायर नहीं की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि अधिक से अधिक अभ्यर्थी अपनी योग्यता एवं पात्रता के अनुसार काउंसलिंग में भाग लें, जिससे अधिकतम सीटों पर प्रवेश हो सके। संचालक चिकित्सा शिक्षा उल्का श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के निर्देशानुसार निरंतर काउंसलिंग प्रक्रिया में सुधार और प्रवेश नियमों में संशोधन से बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। वर्ष 2017 में राज्य में 06 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय थे, जिनमें एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रम की 800 सीटें उपलब्ध थीं और 01 शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय, जिसमें 50 सीटें उपलब्ध थीं। शासन के सतत् प्रयासों से वर्तमान में राज्य में 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय हैं, जिनमें एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रम की 1870 और दंत चिकित्सा महाविद्यालय में 63 सीटें उपलब्ध हैं। िनजी चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेशित छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। वर्तमान में चिकित्सा महाविद्यालयों में एम.बी.बी.एस. पाठ्क्रम की 1150 सीटों में से 1149 सीटों पर प्रवेश हुआ है। निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालयों की 1220 सीटों में से 897 सीटों पर प्रवेश हुआ है। वर्ष 2017 एवं 2018 में यह संख्या क्रमश: 616 एवं 551 थी।