भोपाल
सचिव, सामान्य प्रशासन तथा प्रबंध निदेशक म.प्र. महिला वित्त विकास निगम श्रीमती सोनाली वायंगणकर ने जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग एवं प्लानिंग कार्यशाला में कहा कि बजट में महिला गतिविधियों पर खर्च दिखाना ही जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग एवं प्लानिंग नहीं है। इसे वृहद् और समेकित रूप से समझने और माइंडसेट बदलने की जरूरत है। लैगिंक असमानता दूर करने के लिए जेंडर बजटिंग एक सशक्त माध्यम है।
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में आज भी पुत्रों को पुत्रियों से अधिक महत्व दिया जाता है। कुछ क्षेत्रों में जहाँ यह बदलाव सम्मानजनक एवं सकारात्मक है, वहीं अधिकांश जगहों पर यह बदलाव महिलाओं के लिये प्रतिकूल साबित हो रहा है।
श्रीमती वायंगणकर ने बताया कि जेंडर रेस्पांसिव बजटिंग, जेंडर समानता को बढ़ावा देने का भी एक माध्यम है। नीति प्रक्रिया में जेंडर समानता तक पहुँचने के लिए जेंडर बजट प्राथमिक चरण के रूप में उपयोग किया जाता है। जेंडर बजट नीति और उसके क्रियान्वयन के लिए संसाधनों के बीच के अंतर को स्पष्ट करने का एक तरीका है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि जेंडर समानता के लिए सार्वजनिक धन का व्यय कैसे किया जाये।
एशियन डेवलपमेंट बैंक की कन्सल्टेंट श्रीमती स्वपना बिष्ट ने जेंडर बजट के अंतर और चुनौतियों पर कहा कि जेण्डर आधारित बजट महिलाओं और पुरूषों के लिए अलग बजट बनाने की बात नहीं करता। यह सरकार में मुख्य धारा में बजट पर महिलाओं और पुरूषों पर पड़ने वाले प्रभावों को अलग-अलग दिखाने का प्रयास है।
कार्यशाला में विभिन्न विभागों में गठित जेंडर सेल के नोडल अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर जेंडर बजट सेल चार्टर ब्रोशर का विमोचन किया गया।