जबलपुर
मध्य प्रदेश की संस्कारधानी में इन दिनों बंगले के नाम पर राजनीति जमकर चल रही है. कांग्रेस के विधायक विनय सक्सेना (MLA Vinay Saxena) को बंगला मिलने के बाद भाजपा के सभी विधायक भी लाइन में लग गए हैं. जबलपुर जिले के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 4 पर भाजपा (BJP) तो 4 पर कांग्रेस (Congress) काबिज़ है. ऐसे में एक कांग्रेसी विधायक को पूर्व मंत्री का बंगला मिलना किसी के गले नहीं उतर रहा है. यकीनन जबलपुर में इन दिनों राजनैतिक महत्वाकांक्षा किस ऊंचाई पर पहुंच गई है इसकी बानगी शहर के गलियारों में देखने को मिल रही है. जबकि सत्ता से विमुख हुई भाजपा अब अपने अधिकारों की बात करने लगी है.
दरअसल, बात बंगले से शुरू हुई है जो अब दूर तक जा रही है. उत्तर मध्य विधानसभा से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना को बंगला मिलने के बाद भाजपा विधायकों को भी अपने हक के बंगले चाहिए. मामले को लेकर विधायकों का एक प्रतिनिधि मंडल महापौर से मिला था और उन्हें भी शहरी सीमा में बंगले देने की मांग कर डाली. जबकि पूरे मामले में कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना चुटकी लेने से नहीं बच रहे. उनका कहना है कि ये भाजपा के पेट का दर्द है जो निकल कर बाहर आ रहा है. मैंने नियम के मुताबिक सरकारी आवास आवंटित कराया है. आज तक जिन भाजपा विधायकों ने बंगले के लिए कोई आवेदन न किया हो, अब उनका परेशान होना औंछी मानसिकता दर्शाता है.
बंगले की मांग के मामले में महापौर से मुलाकात करने वाले भाजपा विधायकों में कैंट विधानसभा से विधायक अशोक रोहाणी, पनागर विधानसभा से विधायक इंदू तिवारी और पाटन क्षेत्र से विधायक अशोक रोहाणी शामिल थे. पूरे मामले में जब इन विधायकों से उनका पक्ष लेने की बात कही गई तो कोई भी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से बचता नजर आया. बहरहाल, जो भी हो विधायकों की ओर से 15 दिन का समय नगर निगम आयुक्त और महापौर को उनकी मांग पूरी करने के लिए दिया गया है. जबकि नगर निगम आयुक्त और महापौर ने उन्हें बंगाला देने का भरोसा भी दिया है.