नई दिल्ली
कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में किसी किस्म के बिखराव से बचने के लिए हरियाणा पीसीसी अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाकर सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था बना सकता है। बागी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने की मांग कर रहे हैं, जिन्हें राहुल गांधी ने करीब 5 साल पहले हरियाणा की कमान सौंपी थी। इस बीच गुरुवार को हुड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की।
एआईसीसी जनरल सेक्रटरी गुलाम नबी आजाद ने दो दिनों तक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और हुड्डा, सीडब्ल्यूसी सदस्य कुमारी शैलजा, सीएलपी नेता किरण चौधरी, वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला और अजय यादव जैसे हरियाणा के दिग्गज नेताओं के साथ चर्चा की। इसमें हरियाणा में नेतृत्व मसले का ऐसा हल निकालने की कोशिश की गई, जो सभी को स्वीकार हो। एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने बताया, 'इस बात लगभग सभी एकमत हैं कि हरियाणा कांग्रेस की एकता मजबूत की जानी चाहिए और विधानसभा चुनाव के लिए नई टीम पार्टी की अगुवाई करे।'
शैलजा का दावा है सबसे मजबूत
इस बारे में आखिरी फैसला आने वाले दिनों में लिया जाएगा, लेकिन शैलजा का पार्टी नेतृत्व की अगुवाई करने का दावा सबसे मजबूत है। वरिष्ठ एआईसीसी नेताओं के साथ हरियाणा कांग्रेस में भरोसा करने वालों का मानना है कि दिग्गज दलित महिला नेता का राजनीतिक कद काफी ऊंचा है। हरियाणा में उनकी स्वीकार्यता भी है। वह इस मुश्किल समय में गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को एकता के धागे में पिरो सकती हैं। अजय और सुरजेवाला भी पीसीसी पोस्ट के दावेदार हैं।
'हुड्डा या उनके बेटे को मौका नहीं'
एक अन्य एआईसीसी सूत्र ने बताया, हुड्डा या उनके बेटे को पीसीसी चीफ बनाए जाने की संभावना नहीं है। हाईकमान इस तरह का संकेत नहीं देना चाहता है कि पूर्व मुख्यमंत्री की रोहतक रैली में हालिया रुख के बाद दबाव में आ गया है। सूत्र ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। अभी पीसीसी अध्यक्ष चुनने का आखिरी दौर चल रहा है। ऐसे में एक समझौते के तहत हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है, भले ही विधानसभा का कार्यकाल लगभग खत्म हो गया हो। उन्हें एक डेकोरेटिव कैंपेन रोल भी मिल सकता है।