छत्तीसगढ़

बच्चों को चहकते देख अभिभावकों के खिले चेहरे

रायपुर। चहकते बच्चे घर की रौनक होते है, जो अपने नटखट अंदाज से हर किसी को स्वभाविक रूप से आकर्षित कर लेते हैैं। ऐसा ही खूबसूरत नजारा जांजगीर-चांपा जिले के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में देखने को मिल रहा है। इन केन्द्रों में शारीरिक रूप से कमजोर और कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। जांजगीर-चांपा जिले में जिला अस्पताल सहित सक्ती, डभरा और मालखरौदा में 10-10 बेड वाले पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित है। राज्य सरकार इसके प्रति गंभीर है और आगामी 2 अक्टूबर से प्रदेश भर में कुपोषण मुक्ति के लिए विशेष अभियान प्रारंभ किया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास केन्द्र की मितानिन व आंगनबाड़ी केन्द्र की सहायिकों के माध्यम से गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया जाता है। यहां बच्चे की माता व बच्चे को शिशु रोग विशेषज्ञ की निगरानी में आवश्यक उपचार व पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता है। नवागढ़ विकासखण्ड के ग्राम तागा की बिमला ने बताया कि मितानिन की सलाह पर अपने एक वर्ष के अंकित के साथ विगत 13 दिनों से केन्द्र में रह रही है। नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण व पौष्टिक आहार से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आया है। वह दिन भर खेलता है। खाने के प्रति रूचि बढ़ गयी है। अंकित के नटखट हरकतो से अस्पताल के दूसरे मरीज व परिजन भी सहज रूप से आकर्षित हो जाते है। इसी तरह ग्राम कटौद की एक वर्षीय पायल भी विगत 12 दिनों से भर्ती है। पायल की मॉ ने बताया कि पहले वह शारीरिक रूप से कमजोर व गुमशुम रहती थी। लेकिन अब पायल खूब खेलती है। केन्द्र के स्टाफ को पहचानने लगी है। पायल सबको देखकर मुस्कुराती है। सब पायल की मुस्कुराहट से खुश हो जाते हैं। केन्द्र में दस बच्चे अभी स्वास्थ्य लाभ ले रहें हैं। सभी बच्चों के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्चों की माताओं को घर में पौष्टिक आहार तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा घर व शारीरिक स्वच्छता के संबंध में जानकारी दी जा रही है।

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