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जानें कैसे चंद्रयान-2 इतिहास बनाने से महज 11 कदम है दूर

 बेंगलुरु 
चंद्रयान-2 ने बुधवार सुबह 9.04 बजे चांद की तीसरी कक्षा में प्रवेश किया। चांद पर उतरने से यह सिर्फ 11 दिन दूर है। इसरो ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरी होने के बाद कहा कि यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं और इसने प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल किया। इसमें 1190 सेकंड लगे। फिर यान 179 किमी गुणा 1412 किमी की कक्षा में गया।

7 सितंबर को तड़के 1.55 बजे चंद्रमा पर उतरेगा
इसरो अध्यक्ष के. शिवन के मुताबिक, चंद्रयान के तीन हिस्से में से एक ऑर्बिटर चांद का चक्कर लगाता रहेगा। जबकि लैंडर और उससे जुड़ा रोवर सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इसके बाद रोवर भी लैंडर से अलग हो जाएगा और 500 मीटर के दायरे में चांद की सतह पर घूमकर कई प्रयोग करेगा। 

तीन और प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा
यान को चांद की सतह से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्र ध्रुवों के ऊपर से गुजरती अंतिम कक्षा में पहुंचाने के लिए अभी इस तरह की तीन और प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। इसरो ने कहा कि दो सितंबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के इर्द-गिर्द 100 किलोमीटर गुणा 30 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश करेगा।

सॉफ्ट लैडिंग सबसे महत्वपूर्ण क्षण
चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैडिंग के लिए चंद्रयान-2 धीमी गति और ठहराव जैसी प्रक्रियाओं से गुजरेगा
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैडिंग सबसे महत्वपूर्ण क्षण होगा, इसरो ने यह पहले कभी नहीं किया है
लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान नाम का रोवर बाहर निकलेगा 
इसके बाद रोवर अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा

दो बार चांद की तस्वीरें भेजी  
चंद्रयान-2 ने 26 अगस्त को दूसरी बार चांद की तस्वीरें भेजी थीं। भेजी गई तस्वीरें चांद की सतह से 4375 किमी ऊपर से ली गई हैं। यह तस्वीरें चांद पर मौजूद क्रेटर्स (गड्ढों) की हैं। इनमें से एक फोटो ‘मित्रा’ की है। 22 अगस्त को भी चंद्रयान-2 ने अपोलो क्रेटर की तस्वीर भेजी थी।  

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