नई दिल्ली
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी का व्रत आज किया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होती है। इस दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा से शुरू हो जाएंगे पितृपक्ष। ये 15 दिन तक होते हैं। इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि इन 15 दिन हमारे पितृ पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। इन 15 दिनों में पितृों को पिण्ड दान तथा तिलांजलि कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए। श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं।
इस साल पितृपक्ष 13 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि इन 15 दिन हमारे पितृ पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या को श्राद्ध कर्म किया जा सकता है, लेकिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पूरा पखवाड़ा श्राद्ध कर्म करने का विधान है। पितृपक्ष 13 से शुरू होकर 28 सितंबर को पितृविसर्जन के साथ समाप्त होगा। पिता के लिए अष्टमी तो माता के लिये नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिये उपयुक्त मानी जाती है।
श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन जरूर करवाना चाहिए। आपको बता दें कि इस बार 14 को प्रतिपदा और 15 सितम्बर को द्वितीया का श्राद्ध होगा और 28 सितम्बर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध होगा। 16 को मध्याह्न तिथि न मिलने के कारण श्राद्ध नहीं होगा। के ज्योतिर्विद पं.दिवाकर त्रिपाठी 'पूर्वांचली' के अनुसार पितृपक्ष का मान प्रतिपदा से अमावस्या तक है। इस बार दशमी और एकादशी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन होगा।