मध्य प्रदेश

3 साल में 721 बच्चे लापता, अपहरण और हत्या से दहला हुआ है ज़िला

सतना
सतना ज़िले (satna)में मानो कानून व्यवस्था (law and order) पर ग्रहण लग गया है.लगातार अपराध पर अपराध हो रहे हैं.सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति मासूमों की है. अपराधी (criminal)नाबालिगों को निशाना बना रहे हैं. अपहरण फिरौती और कत्ल जैसे गंभीर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. अपहरण का तो जैसे उद्योग चल रहा है. सबसे नया मामला हरसेड गांव का है. जहां  सात लाख के इनामी बदमाश बबली कोल गिरोह ने किसान अवधेश समदड़िया का अपहरण कर 50 लाख की फिरौती मांगी है. तीन दिन बाद भी किसान का पता नहीं चल पाया है.

तीन दिन पहले अपह्रत किसान अवधेश समदड़िया का अब तक पता नहीं चल पाया है. बबली कोल गिरोह ने 50 लाख की फिरौती के लिए उसका अपहरण किया  है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की 12 पुलिस टीम तलाश में लगायी गयी हैं. मानिकपुर से सटे जंगल नन्ही चिरैया में डकैतों की आखिरी लोकेशन मिली थी. डकैत लगातार अपनी लोकेशन बदल रहे हैं. किसान का परिवार मीडिया और पुलिस से दूरी बनाए हुए है. परिवार के पास फिरौती के लिए अब तक तीन बार फोन आ चुका है लेकिन पुलिस फिर भी डकैतों और किसान का सुराग नहीं लगा पायी है.

सतना ज़िले के लोगों को सबसे ज़्यादा अपहऱण का अपराध डरा रहा है. अपहरण के साथ-साथ लापता होने के केस भी सतना में बहुत ज़्यादा हैं. लापता या अपहरण किए गए कुछ लोग सकुशल लौट आए या मुक्त करा लिए गए लेकिन बाक़ी का बरसों बाद भी पता नहीं चल पाया. अपहरण और गुमशुदगी के मामले में सबसे ज़्यादा शिकार मासूम हैं. अपहरण के बाद हत्या के केस भी सतना में हुए जिनसे पूरा समाज दहला रहा.

सतना जिले के शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों से बड़ी संख्या में बच्चे लापता हैं. तीन साल में ये संख्या पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 721 है. जिले के विभिन्न थानों में आई पी सी की धारा 363 के तहत मामला दर्ज हैं. लेकिन इनका आज तक कोई सुराग नहीं मिला. पुलिस भी इन मामलों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही और परिवार पुलिस थानों और आलाधिकारियों के दरवाजे के चक्कर काट कर धक हार चुके हैं.कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिनके बच्चों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गयी. दो मासूम जुड़वा बच्चों के अपहरण और हत्या का मामला तो आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा है.

बच्चों के अपहरण केस में सबसे ज्यादा बच्चियां लापता हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ज़िले में 34 1 नाबालिग लड़के-लड़कियां लापता हैं.पौढ़ और वृद्धों को शामिल कर लिया जाए तो आंकड़ा हजार से ज्यादा हो जाता है. आंकड़ों पर नज़र डालें तो सतना के कोलगवां थाने इलाके से 17 बालक और 40 बालिकाएं,सिटी कोतवाली से 9 बालक और 13 बालिकाएं ,सिविल लाइन से 12 बालक 11 बालिकाएं ,मैहर से 10 बालक 12 बालिकाएं ,कोठी से 3 बालक 2 बालिकाएं,जसों थाने से 2 और 5, अमरपाटन थाने से 2 और 20, रामनगर थाने से 2 और 19 बालिकाएं लापता हैं.

पुलिस अब तक इन बच्चों की तलाश नहीं कर पायी है. हालांकि उसका दावा है कि सभी की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है और कई मामलों में उसे सफलता भी मिल रही है.

सतना ज़िले के चित्रकूट में 12 फरवरी को प्रियांश और श्रेयांस जुड़वा मासूमों के अपहऱण और हत्याकांड को लोग भूले नहीं हैं. उनके ट्यूशन टीचर रामकेश यादव ने बच्चों का अपहरण कर हत्या कर दी थी. बाद में रामकेश ने सतना जेल में आत्महत्या कर ली. उस केस में पुलिस की नाकामी सबके सामने थी.

सतना विंध्य इलाके का पिछड़ा हुआ इलाका है. साथ ही ये उत्तर-प्रदेश की सीमा पर बसा है. सतना बड़ा रेलवे जंक्शन भी है. बदमाशों और डकैतों के लिए ये मनमाफिक जगह है. अपराधी अपराध कर आसानी से एक से दूसरे प्रदेश में भाग जाते हैं.

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