मध्य प्रदेश

सीएम राइज स्कूल की छात्रा का राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में चयन

CM Rise School student selected in National Children's Science Congress
CM Rise School student selected in National Children's Science Congress


CM Rise School student selected in National Children’s Science Congress

विद्यालय व उसके आसपास पाए जाने वाले पेड़ों पर की थी क्यूआर कोडिंग
CM Rise School student selected in National Children’s Science Congress: भोपाल. सीएम रईज शासकीय महात्मा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भेल की कक्षा 12वीं की छात्रा तनिष्का भारत का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए किया गया है। तनिष्का ने अपना रिसर्च पेपर गाइड टीचर डॉ. अर्चना शुक्ला के मार्ग दर्शन में तैयार किया। इनका चयन जिला स्तर, राज्य स्तर के लिए हुआ था। भोपाल के रातीबड़ में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में तनिष्का ने एस्कार्ट टीचर हेमंत कुमार दुबे के साथ शामिल हुईं।

यहां इनका चयन भोपाल जिले का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के लिए हुआ है। तनिष्का का चयन सैकड़ों विद्यार्थियोंं के बीच कड़ी मशक्कत के बाद किया गया। तनिष्का के रिसर्च का विषय था टैगिंग ट्रीस वीत् क्यूआर कोड, हेविंग इनफॉरमेशन अबाउट लोकल मेडिसिनल यूजेस। इस रिसर्च के द्वारा तनिष्का ने विद्यालय और उसके आसपास पाए जाने वाले पेड़ों पर क्यूआर कोडिंग की थी।

इस क्यूआर कोड में इस पेड़ का हमारे लोकल एरिया में किस प्रकार इस्तेमाल किया जाता है। क्या यह यहां का नेटिव पेड़ है या बाहर से आया है इससे संबंधित जानकारी दी। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को अपने द्वारा किए गए किसी एक रिसर्च कार्य को प्रदर्शित करना होता है। जिसके लिए वह पूरा रिसर्च पेपर लिखता है। अपने डाटा को अलग-अलग मध्यम जैसे पाई चार्ट, ग्राफ की मदद से दर्शाता है तथा इसका पेपर और पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रदर्शित करता है।

CM Rise School student selected in National Children's Science Congress


CM Rise School student selected in National Children’s Science Congress

राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में देंगे प्रेजेंटेशन
तीन पड़ावों को पार करके तनिष्का भारत तथा उनके साथी अनिरुद्ध केवट अपने इस रिसर्च पेपर को राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के तहत प्रस्तुत करेंगे। वरिष्ठ कैटेगरी में भोपाल से तनिष्का भारत इसका प्रतिनिधित्व करेंगी। उनकी उपलब्धि पर तथा उनके द्वारा किए गए इस रिसर्च कार्य के लिए संस्था की प्राचार्य हेमलता परिहार, गाइड शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला सहित विद्यालय परिवार ने शुभकामनाएं दी है।

प्रकृति के लिए बड़ी समस्या बनते हैं इनवेसिव पेड़
गाइड शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला ने बताया कि आजकल लोग पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार पौधरोपण कर रहे हैं, किन्तु पौधरोपण करते समय ध्यान नहीं रखते कि जिन पेड़ों को वह लगा रहे हैं क्या वह हमारे यहां के नेटिव पेड़ हैं या फिर इनवेसिव वैराइटीज है, अर्थात बाहर से लाए गए हैं। कई इनवेसिव पेड़ जो हमारे इकोसिस्टम का हिस्सा नहीं हैं वह यहां लाए जाने के बाद कुछ सालों में विकराल रूप ले लेते हैं और प्रकृति के लिए बड़ी समस्या बनते हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं
डॉ. अर्चना शुक्ला ने बताया कि हमें पता भी नहीं होता है कि वह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को कितनी बुरी तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। जिसका एक उदाहरण लेंटाना या पंचपफूली है, बेशर्म का पौधा या आईपॉमिया कॉर्निया, यूकेलिप्टस, वॉटर हाईसिइंथ जिसे हम जलकुंभी भी कहते हैं। यह सभी इनवेसिव वैराइटीज है। किसी नए पेड़ का हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में आना तथा आक्रामक रूप से बढऩा हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा प्रभाव डालता है।

पशु,पक्षियों, तितलियों के साथ मनुष्य पर भी पड़ता है प्रभाव
डॉ. अर्चना शुक्ला ने बताया कि इसका प्रभाव पशु,पक्षियों, तितलियों पर तो पड़ता ही है साथ ही मनुष्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। यह आसानी से अपना विकास कर पाते हैं क्योंकि इन्हें खाने वाला कोई नहीं होता। इसीलिए हमें पौधे लगाते समय यह ध्यान रखना चाहिए की कहीं वह इनवेसिव वैराइटीज तो नहीं है कुछ अलग लगाने के चक्कर में लोग बाहर देश से पौधे लाते हैं और बाद में वह हमारे लिए मुसीबत बन जाते हैं।

इसी विषय को ध्यान में रखते हुए इस रिसर्च परियोजना कार्य को किया गया तथा क्यूआर कोड में यह जानकारी प्रदान करने की कोशिश की गई है। इस रिसर्च कार्य के लिए विद्यार्थियों ने पूरे स्कूल से सॉइल सैंपल भी कलेक्ट किया तथा उसका पीएच भी निकाला ताकि यह पता किया जा सके कि किस तरह की मिट्टी में कौन से पौधे आसानी से पनपतें हैं। साथिया जानकारी जुटाना की भी कोशिश की गई की किस पौधे के किस भाग का इस्तेमाल हमारे यहां औषधि रूप से किया जाता है।

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