माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में व्याख्यान, में बताया कलाम साहब ने छात्रों के लिए छोड़ दी थी कैबिनेट बैठक
AI not last, human intervention still important: Tariq Badar, science communicator: भोपाल. विज्ञान हर जगह है, संसार में जो कुछ है वो भी विज्ञान से ही है। इसे देखने के लिए हमारा नजरिया भी वैज्ञानिक होना चाहिए। सोचने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण दुनिया को और बेहतर बना सकता है। विज्ञान विषय की रिपोर्टिंग इसे विकसित करने में अहम योगदान कर सकती है। यह कहना है वरिष्ठ विज्ञान संचारक और पूर्व में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् से जुड़े रहे, तारिक़ बदर का।
माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में आयोजित विशेष व्याख्यान में बदर ने विद्यार्थियों को विज्ञान संचार की महत्ता बताते हुए कहा कि इस विषय में संभावनाओं का सागर अपार है। यह जानना ज़रूरी है कि हम इससे जुड़े मुद्दों पर ही नहीं, बल्कि समाधानों पर भी बात करें। इसके लिए जागरुकता और सबका साथ आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज जहां विश्व जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रहा है, वहां हमें चाहिए कि हम पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लें।
जानकारी के हैं कई स्रोत
विज्ञान से जुड़े हुए मुद्दों की जानकारी निकालने के संदर्भ में तारिक बदर ने बताया कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा भू विज्ञान मंत्रालयों के अंदर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जैसे कई उपक्रम और स्वायत्त संस्थान हैं, जिनसे विद्यार्थियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् करता है देश का बहुमूल्य रत्न
अपने वक्तव्य में बदर ने परिषद के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद अपनी कई प्रयोगशालाओं से देशहित में कार्य कर रहा है। इसमें पुणे में स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला तथा गोवा में स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला प्रमुख हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को अपने कार्य के लिए देश का समयपाल भी कहा जाता है। संचार माध्यमों का महत्व बताते हुए बताया कि विज्ञान प्रगति, साइंस रिपोर्टर और साइंस की दुनिया जैसी पत्रिकाएं जो क्रमश: हिंदी अंग्रेजी और उर्दू में छपती हैं, विज्ञान संचार के छात्रों के लिए अति उपयोगी हैं।
पत्रकार वही जो समाजहित में करे काम
कार्यक्रम के अंत में बदर ने कहा कि आज देश जनसंख्या विस्फोट जैसे बड़े संकट से जूझ रहा है जिससे कई सारी संपदाओं का दोहन बहुत बढ़ चुका है। ऐसे में हमें चाहिए कि हम सतत् विकास और चीजों के सतत् इस्तेमाल पर ध्यान दें। जब देश में इतनी बड़ी जनसंख्या है तो वहां पत्रकारों और पत्रकारिता की जरूरत व जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। एक वाकया सुनाते हुए कहा कि, मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले, देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे और भारत रत्न से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. अब्दुल कलाम को हमारी संस्था द्वारा भाषण के लिए बुलाया गया। इस दौरान छात्रों के कहने और आग्रह पर वे न सिर्फ रुके बल्कि कैबिनेट बैठक भी छोड़ दी और एक घंटे तक वहां मौजूद छात्रों से संवाद किया। संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि 11 मई को देश में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है, जो न्यूक्लियर शक्ति और संबंधित मामलों में देश के आत्मनिर्भर बनने का प्रतीक है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी, प्रो. शिवकुमार विवेक, रूबी सरकार, डॉ. उमापति मिश्र, आकाश पवार सहित सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी मौजूद रहे।