मुख्यमंत्री कन्या विवाह-निकाह योजना में कन्या को मिलेंगे 51 हजार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देवास जिले के सोनकच्छ में लाड़ली बहना सम्मेलन में हुए शामिल
Sisters are becoming self-dependent in Madhya Pradesh, increasing respect in family and society: Chouhan: भोपाल. मध्यप्रदेश में एक सामाजिक क्रांति हो रही है, जिसमें बहनें आत्म-निर्भर हो रही हैं। उनका परिवार और समाज में सम्मान बढ़ रहा है। आजीविका मिशन में जहां स्व-सहायता समूह के रूप में संगठित महिलाओं को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए सरकार सहायता दे रही है, वहीं लाडली बहना जैसी योजना से उन्हें आगामी 10 जून से प्रतिमाह 1000 रुपए की राशि दी जाएगी। लाड़ली लक्ष्मी योजना में अभी तक प्रदेश की 44 लाख 90 हजार बेटियों को लखपति बनाया है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को देवास जिले के सोनकच्छ में लाड़ली बहना सम्मेलन-सह-मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना वितरण समारोह में कही। उन्होंने करीब 90 करोड़ रुपए की लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमि-पूजन किया। मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अधिकार पत्र और अन्य योजनाओं का लाभ वितरित किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में बेटियों के साथ अन्याय समाप्त कर उन्हें वरदान बनाया गया है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना में सरकार हर गरीब कन्या का विवाह करवाती है। मुख्यमंत्री ने इस योजना में अभी तक दी जाने वाली राशि 49 हजार को बढ़ाकर 51 हजार किए जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाड़ली बहना केवल योजना नहीं भाई-बहन का पवित्र रिश्ता है। मध्यप्रदेश में हर क्षेत्र में बहनों को सशक्त बनाया जा रहा है। स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण, पुलिस और शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण, सम्पत्ति की रजिस्ट्री में स्टॉम्प शुल्क में छूट जैसी योजनाओं ने बहनों को सशक्त बनाया है। हमारा प्रयास है कि हर बहन की आमदनी कम से कम 10 हजार रुपए महीना हो। बहनों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना मेरी जिंदगी का मकसद है। देवास जिले में 2 लाख 80 हजार बहनों के फार्म लाड़ली बहना योजना में भरे गए हैं। बहनों संबंधी योजनाओं की मॉनीटरिंग के लिए हर गांव और वार्ड में लाड़ली बहना सेना बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान में गांव-गांव, वार्ड-वार्ड में शिविर लगाए जा रहे हैं, जिनमें जाकर अधिकारी और जन-प्रतिनिधि जनता के कार्य कर रहे हैं। अब किसी को अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। उनके गांव, वार्ड के शिविर में ही उनके कार्य हो जाएंगे।