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आरोपितों को बचाने में करोड़ों रुपए कर रहे खर्च, श्रमिकों को बोनस तक के लाले

Crores of rupees are being spent to save the accused, workers are getting bonus

भेल का खेल: आरोपित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय करते हैं मदद
Crores of rupees are being spent to save the accused, workers are getting bonus: भोपाल. भेल भोपाल में गिलास और बाल्टी में नहीं, बल्कि पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है। भेल कारखाने में कार्यरत आरोपित और दागी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय इन्हें नवाजा जा रहा है। उधर, दिन-रात कारखाने में पसीना बहाने वाले मेहनतकश श्रमिकों को बोनस तक नहीं दिया जा रहा है। नाम नहीं छापने की शर्त पर हेल्पिंग हैंड में कार्यरत कुछ श्रमिकों ने बताया कि बीते दो साल से बोनस नहीं दिया गया। वेतन भी दो से तीन महीने में दी जाती है। जबकि भेल प्रबंधन द्वारा कारखाने में कार्यरत दागी, आरोपित कर्मचारियों को बचाने और आरोपों से दोषमुक्त कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है।

बता दें कि भेल भोपाल में फर्जी मार्कशीट, दिपार्टमेंटल सिलेक्शन सहित अन्य मामलों में लिप्त पाए गए अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ जिला न्यायालय भोपाल में मामला विचाराधीन है। ऐसे में कोर्ट और वकील की फीस सहित अन्य खर्चों का वहन भेल प्रबंधन द्वारा किया जाता है, जिस पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर भेल लेडीज क्लब, हेल्पिंग हैंड, मसाला-पापड़, व्लू कम्प्यूटर सहित अन्य संस्थानों में वर्षों से काम करने वाले मेहनतकश मजदूरों को बोनस तक का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जबकि कारखाने के अंदर और बाहर सबसे ज्यादा काम इनके द्वारा ही किया जाता है। इसके बाद भी इनकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इन्हें वेतन के तौर पर 10 से 12 हजार रुपए ही मिलते हैं। इसमें से पीएफ, ईएसआई, मकान और बिजली, पानी का पैसा कट जाता है।

ठेकेदार फजीवाड़ा करके वोनस की राशि को दर्शाते हैं पर श्रमिकों को भुगतान नहीं होता। इसके विपरीत वेतन का भुगतान करने के बाद नौकरी पर रखने की शर्त पर श्रमिकों से कुछ राशि वापस ले ली जाती है। भेल में भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी जड़ वर्स कान्टै्रक्ट के ठेके हैं।
मनोज जादौन, अध्यक्ष ठेका मजदूर संघ भेल भोपाल

यदि कोई व्यक्तिगत मामला है तो भेल का कोई लेना-देना नहीं है। बीएचईएल में पद पर रहते हुए कोई ऑफिसियल कार्य किया है और उस पर आरोप लगे हैं, तो इसके खर्च का भुगतान भेल प्रबंधन करती है।
विनोदानंद झा, प्रवक्ता भेल

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