भेल दशहरा मैदान पर जगदगुुरु रामभद्राचार्य महाराज 31 जनवरी तक सुनाएंगे श्रीराम कथा
Bhopal’s name will be Bhojpal, only then my story here will be successful: Rambhadracharya Maharaj भोपाल. राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीराम कथा में Rambhadracharya Maharaj जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने अपनी 1361वीं कथा के छाठवें दिन की कथा में बताया कि आज मध्य प्रदेश की पुण्यदायिनी नदी नर्मदा की जयंती है। इनका उद्गम अमरकंटक (अमृकूट) में हुआ था। Rambhadracharya Maharaj महाराज ने बताया कि नर्मदा की गोद में शिव जी भी नर्मदेश्वर बनकर खेलते हैं। यहां शिवजी हरिहर के रूप में हैं। इस मौके पर धन-धन नर्मदा मैया, लेहंू मैं तोहरी बलैइया जैसी सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी।
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आगे की कथा में कहा कि सब द्विज देहुं हरषि अनुशासन, रामचंद्र बैठहिं सिम्हासन, महाराज ने बताया कि वशिष्ट जी ने सभी ब्राह्मणों से कहा कि सभी लोग प्रसन्नता पूर्वक अनुशासन दीजिए की रामचंद्र सिंम्हासन पर बैठें। Rambhadracharya Maharaj उसी तरह मैं मध्य प्रदेश सरकार को अनुशासन दे रहा हूं कि भोपाल का नाम भोजपाल करें, तभी मेरी कथा सफल होगी। भजपा सरकार ही भोपाल को भोजपाल बनाएगी।
Rambhadracharya Maharaj महाराज ने कहा कि कांग्रेस ने मेरी योग्यता का कोई मूल्यांकन नहीं किया। Rambhadracharya Maharaj भाजपा सरकार ने जरूर मूल्यांकन किया और वर्ष 2015 मेंं पद्मविभूषण से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा मुझसे पे्रम करती है तो मैं भी उससे प्रेम करता हूं। Rambhadracharya Maharaj मैं भविष्यवाणी कर रहा हूं कि तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी आएंगे। Rambhadracharya Maharaj उन्होंने कहा कि इस बार तीन प्रमुख कार्य करना है, इसमें गोवध बंद कराना, हिन्दी को राष्ट्रभाषा और रामचरित मानस को राष्ट्रगं्रथ बनवाना है। Rambhadracharya Maharaj इस मौके पर महाराज ने कहा कि अयोध्या रामजी की थी, है और रहेगी। Rambhadracharya Maharaj रामभद्राचार्य महाराज ने लोगों को प्रेरित करते हुए कहा कि मैंने कभी भी खुद को दिव्यांग नहीं माना और न ही कम्पनसेशन लिया। Rambhadracharya Maharaj महाराज ने कहा कि संतों को अवश्य राजनीति में पडऩा चाहिए पर अपने स्वार्थों के लिए नहीं।
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Rambhadracharya Maharaj रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कि चंद्रमा की तरह रामचंद्र में भी 16 कलाएं थी। उन्होंने पहली कला अयोध्यावासियों को दी। दूसरी कला वशिष्ट जी को दी। तीसरी कला विश्वामित्र को दिया। Rambhadracharya Maharaj चौथी कला अहिल्या को और पांचवी कला सीता जी को दी। Rambhadracharya Maharaj महाराज ने बताया कि रामजी ने ताडक़ा का वध किया, अहिल्या का उद्वार किया और सीता का शृंगार किया। आगे की कथा में विश्वामित्र द्वारा यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को मांगने जाना।
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ताडक़ा का वध, अहिल्या का उद्धार की कथा सुनाई। इसके बाद धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर की कथा सुनाते हुए झुक जइयो ललन एक बार किशोरी मोरी छोटी सी जैसी सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। Rambhadracharya Maharaj इसके बाद लक्ष्मण परशुराम संवाद का वर्णन किया। कथा के शुरुआत में नारायण सिंह परमार के नेतृत्व में परमार समाज के लोगों ने भोपाल का नाम भोजपाल करने की पहल करने पर महाराज का सम्मान किया। कथा में मुख्य यजमान शुभावती-हीरा प्रसाद यादव हैं।
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शनिवार को कथा सुनने पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, आबकारी अधिकारी हुकुम सिंह भदौरिया, मेट्रो प्रोजेक्ट के डायरेक्टर अजय शर्मा, श्रीकृष्ण मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव, मेला समिति के अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक विकास वीरानी, महामंत्री हरीश कुमार राम, उपाध्यक्ष विरेंद्र तिवारी के साथ ही मेला मेला समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।