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जिसके गुण हैं वह किसी भी वर्ण, जाति लिंग का हो वह पूजनीय है। हमारे यहां गुण की पूजा होती है

The one who has qualities, he may be of any caste, he is worshipable

भेल दशहरा मैदान पर 31 जनवरी तक जगदगुुरु रामभद्राचार्य महाराज सुनाएंगे श्रीराम कथा
The one who has qualities, he may be of any caste, he is worshipable:  भोपाल. जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने अपनी कथा के दूसरे दिन की कथा में बताया कि वशिष्ठ जी रामचंद्र को चरित्र रूपी दिव्य सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं। महाराज ने अपनी कथा में कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री का कहना है कि गोस्वामी तुलसीदास का यह गं्रथ विद्धेश फैलाता है। इस पर बैन होना चाहिए। इस पर महाराज ने बताया कि गोस्वामी जी ने सभी की निंदा की है। अन्य जातियों वर्णों के साथ ब्राह्मण को भी मूर्ख, लोलुप, निरक्षर कहा है।

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महाराज ने कहा कि गोस्वामी जी एक व्यवस्था के तहत यह बातें कही है, किसी के प्रति उनका द्वेश नहीं है। गोस्वामी जी कहते हैं कि जो नीच अधम है, वह भी एक बार राम का नाम लेते हैं तो पावन हो जाएंगे। महाराज ने कहा कि रामचरितमानस पर तो बैन नहीं लगेगा पर तुम्हारे ऊपर जरूर बैन लगेगा। उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में मौर्य नेता नहीं बनेगा। गोस्वामी जी ने किसी भी वर्ण का विरोध नहीं किया, उनका कहना है कि जो राम जी का है, वह हमारा है और जो उनका नहीं है, वह हमारा भी नहीं है। महाराज ने बताया कि गोस्वामी तुलसी दास कहते हैं कि ब्राह्मण जब पढ़ता नहीं तो वह भी तेली, कुम्हार, कोल, कलवार की तरह हो जाता है। ब्राह्मण नहीं पड़ेगा तो निरक्षर होकर तेल बेचेगा, लोलुप होकर घड़ा बनाएगा और वेद रहित होने पर अधम होगा और आचरण हीन होगा तो वह तेली, कुम्हार, कोल, कलवार जैसा ही होगा।

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जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री राम मनोहर लोहिया के पद चिन्हों पर चलने वाले हैं तो क्या वे राम मनोहर लोहिया को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। महाराज ने बताया कि गोस्वामी जी ने रावण का पुतला जलाने तो परशुराम के अपमान की भी बात कही है। जिसके गुण हैं वह किसी भी वर्ण, जाति लिंग का हो वह पूजनीय है। हमारे यहां गुण की पूजा होती है। तुलसी भजै न राम को चारो वर्ण चमार, जो चमड़े पर प्रेम करता है वह चमार है। जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ना होते तो ना हमारी चोटी होती, न हमारी रोटी होती और न ही हमारी बेटी होती और न ही देश स्वतंत्र होता। महाराज ने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी ने भी तो रामचरित मानस से ही रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम गाया था।

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जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने आह्वान किया कि सभी को एकजुट होकर रामचरितमानस को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से पारित कराकर राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करा कर रहेंगे। महाराज जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 192 देश हैं, इन सभी देशों में रामचरितमानस को पढ़ा और गाया जाता है। रामचरितमानस जैसा राष्ट्र का ग्रंथ कोई भी नहीं है। अब तक गीता प्रकाशन ने एक अरब रामचरितमानस छापी है। यानि की प्रत्येक चार व्यक्ति पर एक रामचरितमानस है।

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महाराज ने बताया शिक्षा का हमत्व
ढोल, गंवार शूद्र, पशु, नारी यह सब ताडऩ के अधिकारी। महाराज ने इस चौपाई का अर्थ बताते हुए कि यह सब ताडऩा नहीं कि ताडऩ यानी कि शिक्षा लेने के अधिाकरी हैं। शिक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि जब तक बेटी नहीं पड़ेगी, तब तक समाज नहीं सुधर सकता। यदि इस देश को कुछ करना है, तो हमारे देश की नारियों, बेटियों को पढ़ाना चाहिए। महाराज ने कहा कि आप जितना खर्च बेटों की पढ़ाई पर करते हैं, उससे ज्यादा बेटियों की पढ़ाई पर करना चाहिए। महाराज ने कहा कि वह कभी सुखी नहीं रह सकता, जहां बेटे को बेटी से अधिक माना जाता है और वह घर हमेशा सुखी रहेगा, जहां बेटी को बेटे से अधिक माना जाता है। बेटा पत्नी के कहने पर मां को मारता है, घर से निकाल देता हे, छोड़ देता है, बात नहंीं करता पर बेटी माता-पिता को कभी नहीं छोड़ती।

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महाराज ने कहा कि गोस्वामी जी कहते हैं कि बेटी का सम्मान करना चाहिए। एक बेटी सौ बेटों के बराबर होती है। बेटा एक लायक रहा तो एक कुल का मान बढ़ाता है और बेटी दो कुलों का मान बढ़ाती है। महाराज ने तीन तलाक, लव जेहाद और भोपाल को भोजपाल बनाने को लेकर भी अपनी बात रखी। महाराज ने कहा कि मां शिक्षित होगी तो हमें भी शिक्षित करेगी, संस्कार देगी। इसके लिए गांधारी और कुंती का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधारी अशिक्षित थी और अपने आंखों पर पट्टी बांध कर रखी थी, ताकि अपने बेटों के अवगुणों को देख न सके। जबकि उसे अपने पति की आंखें बननी चाहिए। वही कुंती वन में रहकर भी अपने बेटों को अच्छी शिक्षा दी, अच्छे संस्कार दिए, जिनको नारायण भी प्रणाम करते थे। महाराज जी ने बताया कि महिला पढ़ी-लिखी संस्कारी हो तो पूरे देश का भाग्य बदल जाता है।

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महाराज ने बताया कि जब तक बेटी का जन्म नहीं होता, तब तक मां की कोख पवित्र नहीं होती है। बेटियों की शिक्षा को लेकर सती और सीता का उदाहरण दिया। महाराज ने बताया कि भारतीय सिद्धांत महिला की रक्षा का दायित्व तीन लोगों को सांैपता है बेटी जब तक कुंवारी हो तब तक पिता, शादी के बाद पति और वृद्धावस्था में बेटे को। महाराज ने बताया कि गोस्वामी जी ने रामचरित मानस मेें राम की पांच लीलाओं का वर्णन किया है। इसमें बाल लीला, विवाह लीला, वन लीला, राण लीला और राज्य लीला है। रामचरितमानस जैसा ग्रंथ विश्व में कोई दूसरा नहीं है। महाराज ने एक बार फिर भोपाल का नाम भोजपाल करने, लव जेहाद और तीन तलाक की बात कही।

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मंगलवार को कथा सुनने अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक विकास वीरानी, महामंत्री हरीश कुमार राम, गिरीश सर्मा, श्रीकृष्ण मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव, मेला समिति उपाध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी, सुनील शाह, महेंद्र नामदेव, मो.जाहिद खान, दीपक बैरागी, देवेंद्र चौकसे, शैलेंद्र सिंह जाट, मो. रेहान खान, चंदन वर्मा, विनय सिंह, अखिलेश नागर, केश कुमार शाह, आफताब सिद्दकी, मधु भवनानी, दीपक शर्मा, गोपाल शर्मा, सुनील वैष्णव, वाहिद खान, गौरव जैन, सुभाष दरवई, गोपाल पाटीदार, सुमित रघुवंशी, तरुण गुप्ता, इंद्रजीत के साथ ही मेला टीम के सदस्य और बड़ी संख्या मेंं श्रद्धालु हुए।

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