वन विभाग के लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी में तैयार किया जा रहा प्राकृतिक गुलाल
रोहित वर्मा
भोपाल. रंगों का त्योहार होली उत्सव और उल्लास का पर्व है। इसमें विभिन्न प्रकार के रंग और गुलाल का उपयोग किया जाता है। लेकिन कई बार ये केमिकल युक्त रंग-गुलाल लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। केमिकल युक्त रंग और गुलाल से बचने और निर्बाध रूप से होली का उत्सव मनाने वन विभाग के लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र बरखेड़ा पठानी में प्राकृतिक रंगों से गुलाल तैयार किया गया है। यहां इस बार चार तरह के गुलाल तैयार किए गए हैं। इनमें हरा, गुलाबी, पीला और सिंदूरी है। प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए इस गुलाल में आरा रोड के साथ अलग-अलग कलर के लिए अलग-अलग तरह के बीज, फूल, पत्ते बेलपत्र, पालक, हल्दी चुकंदर, पलाश, सिंदूरी आदि का इस्तेमाल किया गया है।
इस बार चार क्विंटल तैयार किया गया है गुलाल
नर्सरी प्रभारी केबीएस परिहार ने बताया कि इस बार होली के लिए चार क्विंटल गुलाल तैयार किया जा चुका है। मांग आने पर और ज्यादा गुलाल तैयार किया जाएगा। कोरोना काल में बीते दो साल से 3 से 4 क्विंटल गुलाल तैयार किया जा रहा है। इससे पहले 6 से 7 क्विंटल गुलाल तैयार किया जाता रहा है। यह गुलाल विंध्य हर्बल की संजीवनी की मांग पर तैयार किए जाते हैं। परिहार ने बताया कि फ्लेवर और खुशबू के लिए रोज, केवड़ा आदि का अर्क तैयार कर इसमें इस्तेमाल किया जाता है। एक क्विंटल गुलाल 8 लोग मिलकर 2 से 4 दिन में तैयार कर देते हैं। परिहार ने बताया कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप कुमार एवं उप प्रबंधक बीएस पिल्लई के मार्गदर्शन में यह गुलाल तैयार किया जा रहा है।
चार तरह के तैयार किए गए हैं गुलाल
सिंदूरी रंग: इसके लिए सिंदूरी के बीजोंं का इस्तेमाल किया जाता है।
पीला रंग: इसके लिए हल्दी आदि का उपयोग किया जाता है।
हरा रंग: हरा रंग बनाने के लिए पालक का रस निकाल कर इसमें बेल पत्री सहित अन्य प्रकार के पौधों के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
गुलाबी रंग: गुलाबी रंग के गुलाल के लिए अलग-अलग प्रकार के फलों का इस्तेमाल कर यह गुलाल तैयार किया जाता है।
मुंह के अंदर चला जाए तो भी नुकसान नहीं
इस गुलाल की खास बात यह है कि यह गुलाल यदि मुंह के अंदर भी चला जाए तो इससे नुकसान नहीं करता। क्योंकि इसमें जितनी भी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है वह अलग-अलग प्रकार के पेड़ पौधों के पत्तों के साथ ही आयुर्वेद के मुताबिक है। गुलाल का बेस आरारोट से तैयार किया गया है।
यहां उपलब्ध है प्राकृतिक गुलाल
यह गुलाल राजधानी भोपाल में लिंक रोड नंबर दो तरुण पुष्कर स्वीमिंग पुल के सामने स्थित संजीवनी हर्बल आउटलेट और बरखेड़ा पठानी स्थित पार्क के आउटलेट पर उपलब्ध है। प्रदेश के अन्य शहरों, कस्बों में स्थित संजीवनी आउटलेट से भी ले सकते हैं।
केमिकल मुक्त है यह गुलाल
हमारे यहां बनाए जाने वाला गुलाल पूरी तरह केमिकल मुक्त है। इसमें आरा रोड, पालक, हल्दी, बेलपत्री, सिंदूरी बीज के साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़ों के पत्तों और रसों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह प्राकृतिक है। इससे शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता।
– केबीएस परिहार, नर्सरी प्रभारी, विंध्य हर्बल भोपाल