विश्व मैत्री मंच द्वारा ऑनलाइन दीपावली मिलन समारोह एवं शरद ऋतु पर काव्य गोष्ठी का आयोजन
भोपाल. विश्व मैत्री मंच द्वारा ऑनलाइन दीपावली मिलन समारोह एवं शरद ऋतु पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संदीप अवस्थी ने शरद ऋतु पर दोहे सुनाए। वहीं मुख्य अतिथि डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने शरद ऋतु को चांद से जोड़कर, चांद को मन का प्रतीक बता, मन की अवस्था से संबंधित दोहे प्रस्तुत किए।
कवयित्री संतोष श्रीवास्तव ने ओस की जुबानी कविता के माध्यम से शरद ऋतु का खूबसूरत चित्रण प्रस्तुत किया। काव्य गोष्ठी में प्रतिभागी कवियों में चरणजीत सिंह कुकरेजा ने आसमान की आंखों से रोज छलकती है शबनम, दामन में अपने सहेजो, मिट जाएगा मन का तम सुनाया तो जया आर्य ने कहा, तुम्हारा लिखा हुआ खत पढ़ा तो मनवीन कौर पाहवा ने मेरी बगिया की क्यारी में कविता पाठ किया। जबकि नीरजा ठाकुर ने शरद ऋतु, प्यारी वधू, नविता जौहरी ने शरद ऋतु का हुआ आगमन, महका-महका धरा का आंगन कविता पढ़ी।
शोभारानी तिवारी ने कहा, प्रकृति ने ली अंगड़ाई और गोपेश वाजपेयी ने शरद ऋतु ने बांटा सबको ठंडी का पैगाम कविता पढ़ी। डॉ. अंजुल कंसल कनुप्रिया ने शरद ऋतु लगे सुहावनी, डा. वर्षा चौबे ने गंध महक उठी अलियों में कलियों में, शरद ऋतु आ गयी है गांव की गलियों में पढ़ी। अनामिका सिंह ने ठंडी-ठंडी बहे बयार आया फूलों पर निखार कविता सुनाई। माया बदेका ने आयी-आयी शरद ऋतु आयी, मदमाती चले पुरवाई अनीता झा ने किसी ने प्यार बरसाया, प्रभा शर्मा सागर ने प्यारी-प्यारी शरद ऋतु आयी तथा किरण लता वैद्य और प्रेमचंद गुप्ता ने भी अपनी कविताओं की प्रस्तुतियां दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संदीप अवस्थी ने कहा कि छंदमुक्त सृजन का दायरा सीमित है, जबकि छंदबद्ध सृजन की पहुंच लाखों तक है। उन्होंने पठन की प्रक्रिया चलते रहने के लिए विश्व मैत्री मंच एवं विविध स्रोतों से पुस्तकें एकत्र करके एक लाइब्रेरी बनाने का सुझाव दिया। शरद ऋतु पर अति उत्तम दोहे प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
डॉ. प्रभाकर शुक्ल ने विशिष्ट प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन महिमा श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने आभासी मंच पर मां सरस्वती की स्थापना एवं दीप प्रज्जवलन की कल्पना साकार करते हुए अतिथियों का स्वागत भी कल्पना के पुष्पों से किया। किरणलता वैद्य ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और जया शर्मा ने आभार माना।