अध्यात्म

इस मिट्टी ने जब रावण जैसे सत्ताधारियों को नहीं बक्सा, तो फिर साधारण मानव क्या चीज है


हमेशा याद रखना कि मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है, क्योंकि ये मिट्टी किसी को नहीं छोडऩे वाली है

एक राजा बहुत ही महत्तवाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्तवाकांक्षा रहती थी। उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया। रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी, कि पता नहीं क्या करेंगे इतने महल बनवाकर। एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा के आश्रम के पास से गुजर रहे थे, तो वहां एक संत की समाधि थी।

राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था
सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था और उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी, पर अंतिम समय में उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ ज़मीन में गड़वा दिया। इसमें कहा कि जिसे भी वो खजाना चाहिये, उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधि से चौरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है। निकाल ले और अनमोल सूचना प्राप्त कर लेवे। ध्यान रखे, उसे बिना कुछ खाये-पिये खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है, अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी।

उस पर लिखा था हे राहगीर संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो
राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा। बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गये। उसकी सारी अकल ठिकाने आ गई। उस पर लिखा था हे राहगीर संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो। आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हंसी आ रही है। तुम कितने भी महल बना लो, पर तुम्हारा अंतिम महल यही है। एक दिन तुम्हे इसी मिट्टी में मिलना है।

आगे की यात्रा के लिए तुम कुछ जतन कर लेना
सावधान राहगीर, जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो, तब तक आगे की यात्रा के लिए तुम कुछ जतन कर लेना, क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आएगी, तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे। यदि तुमने आगे की यात्रा के लिए कुछ जतन न किया, तो अच्छी तरह से ध्यान रखना। जैसै ये चौरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है, बस वैसे ही आगे की चौरासी लाख योनियों में तुम्हे अकेले ही भटकना है। हे राहगीर ये कभी न भूलना कि मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है, बस तरीका अलग-अलग है।

उन्होंने सारे महल जनता को दे दिये
फिर राजा जैसै-तैसे कर के उस कुएं से बाहर आया और अपने राजमहल गया, पर उस शिलालेख के उन शब्दों ने उसे झकझोर के रख दिया। उन्होंने सारे महल जनता को दे दिये और अंतिम घर की तैयारियों में जुट गया। हमें एक बात हमेशा याद रखना है कि इस मिट्टी ने जब रावण जैसै सत्ताधारियों को नहीं बक्सा तो फिर साधारण मानव क्या चीज है, इसलिए ये हमेशा याद रखना की मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है, क्योंकि ये मिट्टी किसी को नहीं छोडऩे वाली है।

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