आज हर व्यक्ति खुद को सफलता के लिए तैयार कर रहा है और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने में लगा हुआ है। एक विद्यार्थी जहां अपनी परीक्षा में अच्छा करना चाहता है, वहीं एक बिजनेसमैन अपने बिजनेस में मुनाफा कमाना चाहता है। हम सब लोग एक बेहतर जिंदगी के लिए मशक्कत करने में लगे हुए हैं। लेकिन सफलता की इस रेस में कब हम लोग तनाव की चपेट में आ जाते हंै पता ही नहीं चलता। माता-पिता को अपने बच्चो के भविष्य की फि क्र है तो एक युवा को अपने कॅरियर की। कोई अपनी रिलेशनशिप से संतुष्ट नहीं तो कोई अपनी जॉब से परेशान है।
अगर आपको भी तनाव दूर करने के लिए हंसना-हंसाना पसंद है, तो तनाव आपसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझेगा। जो लोग रोजमर्रा की जिंदगी में हंसते और हंसाते हैं, वे तनाव से लडऩे के लिए ज्यादा तैयार रहते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बासेल के एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
शोध के अनुसार एक व्यक्ति दिन में औसतन 18 बार हंसता है। लोग अक्सर दूसरों से बातें करते समय हंसते हैं और यह उनके मनोरंजन के अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है। शोधकर्ताओं ने दिन के समय, उम्र और लिंग के कारण इनमें आने वाले बदलावों के बारे में भी बताया है। शोधकर्ताओं ने रोजमर्रा के जीवन में तनाव देने वाली घटनाओं और हंसी के बीच संबंधों की जांच की है।
एप से किया गया शोध
शोधकर्ताओं ने एक मोबाइल एप के जरिए प्रतिभागियों से दिन में आठ बार अनियमित अंतराल पर कुछ सवाल पूछे। यह सिलसिला 14 दिनों तक चला। इसमें हंसने की आवृत्ति और तीव्रता के बारे में सवाल पूछे गए। इसके अलावा तनाव देने वाले घटनाओं और लक्षणों के बारे में भी सवाल पूछे गए। इस शोध में 41 मनोविज्ञान के छात्रों पर अध्ययन किया गया। इनमें से 33 महिलाएं थीं और सबकी उम्र 22 साल से कम थी।
हंसने की तीव्रता से तनाव का कम संबंध
इस शोध के निष्कर्षों में पता चला कि जो लोग रोजाना हंसते-हंसाते थे, उनमें तनाव पैदा करने वाली घटनाओं के कारण बेहद मामूली लक्षण देखने को मिलते थे। इनमें सिर्फ हल्के सिरदर्द का लक्षण उभरते देखा गया। वहीं, जो लोग कम हंसते या बिल्कुल नहीं हंसते थे, उनमें थकान, अनिद्रा जैसे लक्षण देखने को मिले। हालांकि, शोधकर्ताओं ने बताया कि हंसने की तीव्रता यानि तेज, मध्यम या धीमी हंसी और तनाव के स्तर में कोई संबंध नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं के अनुसार सिर्फ मुस्कुराने से भी तनाव कम होने में मदद मिलती है।