कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है सही जानकारी और सावधानी
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से भारत समेत लगभग पूरी दुनिया एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। इसके प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है कि हमारे पास सही जानकारी हो और हम सावधान तथा जागरूक रहें। खुले में मत घूमिए, घरों में बंद रहिए। बाहर घूमने पर कोरोना वायरस का अधिक खतरा है। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत सोचते हैं।
दरअसल बंद जगहों पर कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। यहां वायरस अधिक समय तक रह सकता है, जबकि खुले स्थानों पर यह खतरा कम है। ‘सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ यूएसए के नए अध्ययन में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं। सीडीसी यूएसए के नए अध्ययन में कई भ्रांतियों को दूर किया गया है। जबकि तमाम नए खतरों से भी सावधान रहने को कहा गया है।
अध्ययन के मुताबिक सरफेस (सतह) से वायरस फैलने का खतरा बहुत कम है। इसे ‘लो रिस्क’ फैक्टर में रखा गया है। यानि किसी बाहरी चीज, दीवार, गेट आदि से छुलने पर खतरे की गुंजाइश बहुत कम है। जबकि सबसे अधिक खतरा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बताया गया है। इनमें प्रमुखत: शादी और विवाह समारोह, कार्यालय और सिनेमाघर आते हैं। इन्हें वेरी हाई रिस्क फैक्टर में रखा गया है।
खांसी-जुकाम वाले सबसे खतरनाक
सीडीसी के मुताबिक, दूसरे को संक्रमित करने के लिए शरीर में कम से कम एक हजार वायरस पार्टिकल होने चाहिए। जबकि सामान्य सांस लेने वाला व्यक्ति सिर्फ 20 वायरस पार्टिकल छोड़ता है। इसी तरह सामने खड़ा होकर बोलने वाला 200 वायरस पार्टिकल रिलीज (छोड़ता) करता है। एक संक्रमित खांसने और छींकने पर यह बढ़कर 200 मिलियन पार्टिकल बाहर छोड़ता है। यहीं सबसे अधिक खतरा है।
लोगों और समूहों की कर रहे पहचान
देश के नीति निर्माता सक्रिय रूप से उन लोगों के समूहों की पहचान करने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं, जिन्हें विकसित होने पर कोविड-19 के टीके सबसे पहले लगाए जाएंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ‘कोविड-19 महामारी के खिलाफ टीकों के विज्ञान और नैतिकता में नव विचार विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बोलते हुए, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में नियुक्त विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) राजेश भूषण ने कहा कि टीका प्राथमिकता के आधार पर पहले किन्हें मिलना चाहिए, इस विषय पर सरकार के भीतर और बाहर दोनों जगह चर्चा की जा रही है।
भूषण ने कहा कि एक उभरती हुई आम सहमति है कि अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले कर्मचारी वे लोग हैं जिन्हें सबसे पहले टीके दिए जाने चाहिए। लेकिन हम अभी इस प्रश्न पर मंथन कर रहे हैं और अभी हम इस मुद्दे पर कोई अंतिम स्थिति में नहीं पहुंचे हैं कि प्राथमिकता सूची में कौन-कौन होंगे। स्वास्थ्य कर्मियों के बाद कौन आएगा और फिर उनके बाद कौन आएगा।
उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श इस बात पर है कि क्या यह समूह बुजुर्ग लोगों का होगा या यह वे लोग होंगे, जिन्हें पहले से ही कई बीमारियां हैं या क्या वे कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति वाले लोग होंगे जिनकी लंबे समय तक रही गरीबी और कुपोषण के कारण प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर हो गई है।
राजेश भूषण ने कहा, ‘वर्तमान में भारत सरकार के भीतर नीति निर्माता इन सवालों का हल ढूंढऩे में लगे हुए हैं।’ नीति आयोग के सदस्य और कोविड-19 राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि नीति निर्माता सक्रिय रूप से उन लोगों के समूहों को प्राथमिकता देने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं, जिन्हें विकसित होने के बाद सबसे पहले कोविड-19 टीके लगाए जाएंगे।