मध्य प्रदेश

सरकार के बाद अब संगठन को मजबूत करने में भी जुटी भाजपा

जानें कैसी होगी मध्य प्रदेश में भाजपा की नई टीम

भोपाल. विधान सभा चुनाव में सत्ता गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी करीब डेढ़ साल के बनवास के बाद जैसे तैसे एक बार फिर सत्ता में काबिज हो गई है। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल कांग्रेस के 22 विधायकों को साथ लेकर एक बार शिवराज सिंह चौहान फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए हैं। प्रदेश में भाजपा फिर से सत्ता में आने के बाद मंत्रिमंडल गठन और विभाग वितरण की उलझन से बाहर निकल आई है। सरकार के बाद अब संगठन को मजबूत करने में भी जुट गए हैं।

संगठन में अब नई टीम के गठन की कवायद चल रही है। पार्टी प्रदेश में संगठन की जो नई टीम बनाने जा रही है, वह संतुलित तो होगी ही, साथ में नई ऊर्जा वाली भी होगी। राज्य में भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तत्कालीन 22 विधायकों के कारण सत्ता में लौटी है। इस स्थिति में भाजपा को सिंधिया के साथ आए हुए लोगों को सत्ता में हिस्सेदारी देना मजबूरी थी और सत्ता में आगे भी उनकी हिस्सेदारी जारी रहेगी, मगर संगठन के मामले में ऐसा नहीं होने वाला।

प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णु दत्त शर्मा के हाथ में आने के बाद पार्टी सत्ता में लौटी। इस वजह से पार्टी लगभग तीन माह से सत्ता की सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में लगी थीं। लिहाजा, प्रदेश कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया था। अब पार्टी उससे पूरी तरह मुक्त हो चुकी है और अब कार्यकारिणी पर सारा जोर है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश महामंत्री संगठन सुहास भगत के बीच नई कार्यकारिणी को लेकर कई दौर की चर्चा हो चुकी है।

संगठन में अब उन लोगों को ज्यादा महत्व दिया जाने वाला है, जिन्हें तमाम योग्यता और अनुभव के बावजूद सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है। साथ ही क्षेत्रवार भी प्रतिनिधित्व दिए जाने का पार्टी ने मन बनाया है। शर्मा के पहले जो अध्यक्ष रहे हैं, नंदकुमार सिंह चौहान और राकेश सिंह, उन्होंने टीम में ज्यादा बदलाव नहीं किया था, मगर इस बार पार्टी बड़ा बदलाव करने का मन बना चुकी है।

मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, थावरचंद गहलोत जैसे नेताओं के पसंदीदा लोगों को जगह नहीं मिल पाई है। इन नेताओं के समर्थकों को नई कार्यकारिणी में जगह मिल सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा मठाधीशों को ज्यादा महत्व देने के पक्ष में नजर नहीं आ रही है। पहले प्रदेशाध्यक्ष नई उम्र का बनाया गया तो दूसरी ओर जिलाध्यक्षों में भी युवाओं को महत्व दिया गया। भाजपा वर्ष 2024 और उससे भी आगे की तैयारी में जुटी है। इसके लिए उसने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। कुल मिलाकर राज्य की नई कार्यकारिणी में नए चेहरे ज्यादा होंगे और वह नई और ऊर्जावान नजर आएगी।

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