मध्य प्रदेश

प्रदर्शन कर भेल प्रबंधन को दी चेतावनी, मांगे नहीं मानी तो आंदोलन करेंगे

भेल कर्मचारियों के वेतन सहित की जा रही अन्य कटौतियों को लेकर इंटक ने जताया विरोध

भोपाल. बीएचईएल कर्मचारियों के वेतन एवं सुविधाओं में होने वाली कटौती के खिलाफ 19 एवं 20 जून को पिपलानी स्थित इंटक कार्यालय में हेम्टू इंटक यूनियन द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। उसी श्रंृखला में शुक्रवार को भेल प्रबंधन के तानाशाही रवैये एवं केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ इंटक अध्यक्ष आरडी त्रिपाठी के नेतृत्व में इंटक के सैकड़ों कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।

त्रिपाठी ने बताया कि पिछले काफी समय से भेल प्रबंधन संस्थान की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती कर रहा है। बचत के नाम पर टाउनशिप मेंटेनेंस, चिकित्सालय की सुविधाओं में कमी, कांट्रेक्ट वर्कर में कटौती आदि को लगातार कम किया जा रहा है। वर्तमान में कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के नाम पर पक्र्स में 50 प्रतिशत की कटौती कर कर्मचारियों की सुविधाओं को सीमित करने का कार्य किया है, जो किसी अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में नहीं किया गया है। इसका भेल के मजदूर संगठनों द्वारा पुरजोर विरोध किया गया है।

भेल प्रबंधन द्वारा वर्तमान लॉकडाउन की परिस्थिति का फायदा उठाकर कभी कैंटीन सब्सिडी तो कभी ट्रांसपोर्ट सब्सिडी खत्म की जा रही है। इंटक ने प्रबंधन को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि भेल कर्मचारी इस महामारी के दौरान विपरीत परिस्तिथियों में भी अपने संस्थान की प्रगति में जी-जान से लगे हुए हैं। इसलिए भेल प्रबंधक अपने नकारात्मक रुख को छोड़कर तत्काल इन कटौतियों को समाप्त करे। इसके साथ ही हमारी लंबित मांगों के समाधान का प्रयास करे।

त्रिपाठी ने कहा कि हम भेल कर्मचारियों के हितों में किसी भी प्रकार की कटौती को स्वीकार नही करेंगे। प्रबंधिका से अपील है कि यदि कोई विषय संस्थान के हित में सामने आ रहा है, तो प्रबंधिका कामगार-प्रबंधन सहभागिता के सिद्धांत के अनुरूप श्रम संगठनों को बुलाकर वार्ता करे। इस तरह के तुगलकी फरमानों को जारी कर संस्थान का माहौल अशांत करने से बचा जाये।

संगठन की प्रमुख मांगे
1. पक्र्स में की गयी 50 प्रतिशत की कटौती को तत्काल वापस करते हुए की गई कटौती की राशि का भुगतान तत्काल किया जाये।
2. बढ़े हुए महंगाई भत्ते का भुगतान एरियर सहित शुरू किया जाये।
3. कैंटीन और ट्रांसपोर्ट आदि सब्सिडी से संबंधित आदेश पत्रों को तत्काल वापस लिया जाये।
4. एसआईपी/बोनस की शेष राशि जिसका भुगतान अप्रेल माह में होना था तत्काल भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
5. लैपटॉप की तय राशि की प्रतिपूर्ति तत्काल शुरू की जाए।

केंद्र सरकार द्वारा देश के तमाम उद्योगों का निजीकरण किया जा रहा है। कोलमाइंस में केंद्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत एफडीआई लाकर उद्योगपतियों को ज्यादा कराने का काम किया जा रहा है। निजीकरण को बढ़ावा देते हुए रेलवे को भी इसी ओर धकेला जा रहा है। इन्हीं सब विषयों के विरोध में शुक्रवार को इंटक कार्यालय पिपलानी में भेल कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए सत्याग्रह करते हुए प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की गई।

त्रिपाठी ने बताया कि हेम्टू इंटक प्रबंधन को स्पष्ट रूप से बताना चाहती है कि यदि इन कटौतियों को वापस करते हुए उपरोक्त मांगों के संदर्भ में शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित नहीं की तो एक बड़े आंदोलन पर जाने को बाध्य होंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी। आज भेल कर्मियों की मागों को पूरा करने के लिए किये गए विरोध-प्रदर्शन में हेम्टू इंटक के उपाध्यक्ष गौतम मोरे, कोषाध्यक्ष राजेश शुक्ला, रामालिंगम सुनील महाले सीआर नामदेव, संतोष सिंह, फजल खान, धर्मेन्द्र अवस्थी, राजेश दुबे, सत्येंद्र शर्मा, प्रदीप मालवीया, कंचन कुजूर, रणजीत चंद्रावत, हितेन्द्र हुरडे, मनोज चौकसे, सुरेश मेंहरा, राजदीप, रामजीत, नीरज विश्वकर्मा, बाबू सिंह, बुद्धमान सिन्हा, ललित रायचंदानी, रामभुवन, विजय मिश्र, प्रदीप मेहरा सहित कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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