दीपिका शर्मा
कोरोना के चलते देश में लगभग हर परिवार में कोई न कोई ऐसा जरूर है, जिसकी आमदनी पर बुरा प्रभाव पड़ा है। क्या व्यापार, क्या नौकरी और क्या पेशा। व्यापारी कमजोर बाजार से परेशान, तो नौकरी वाले छंटनी, वेतन कटौती या सेवा स्थगन झेल रहे हैं, वहीं पेशेवर वर्ग भी आर्थिक संकट से दो—चार हो रहा है।
ऐसे में हमें चाहिए कि ये मार झेल रहे अपनों का मोरल सपोर्ट करें। क्योंकि हर परिवार में कोई न कोई इन परिस्थितियों का सामना कर ही रहा है। यदि हम उनके प्रति सहानुभूति रखेंगे, तो उनकी हिम्मत बढ़ेगी। हम अपने खर्चों में कटौती करेंगे, तो उन पर पडऩे वाला आर्थिक बोझ कुछ कम होगा।
करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं
कोरोना महामारी की वजह से भारत में नौकरी में करोड़ों लोगों के प्रभावित होने की खबर है। इसमें तीन दिक्कत आई है, पहली नौकरी जाना, दूसरा तनख्वाह कम होना और तीसरा ये कहकर काम से लौटा देना कि जब जरूरत होगी बुला लेंगे। ऐसे लोग अधर में हैं कि उनकी नौकरी है या नहीं है, अब दूसरी जगह तलाशें या नहीं।
व्यवहार में बदलाव लाना होगा
ऐसे में हम सभी को नए सिरे से सोचना होगा और अपने व्यवहार में कुछ ऐसे बदलाव लाने होंगे, जो नौकरी के संकट से जूझ रहे हमारे लोगों की तकलीफ कुछ कम कर सके। इसमें कोई संदेह नहीं कि नौकरी जाने की बात सुनकर लोग भावुक हो जाते हैं। ऐसी हालत में उन्हें संभालें और अहसास मत होने दें कि हालात बेहद चिंताजनक है। उनको बोले कि आपकी काबिलियत में कोई कमी नहीं है, परिस्थिति के कारण आपके साथ ऐसा हो गया है, जिसमें आपका पूरा परिवार आपके साथ है।
अन्न के बर्बादी की आदत छोड़ें
हमें अपने स्तर पर कुछ भी कुछ कदम उठाने होंगे, जैसे कि हम अन्न की बर्बादी की आदत छोड़ दें। कोई वस्तु पसंद ना हो तो हम तुरंत बाहर से जाकर दूसरा सामान लेकर आते हैं, ऐसे में पैसे सिर्फ खर्च होते हैं। हमें अब जो है अभी उसी में खुश रहने की आदत डालनी होगी। अपनी नई आदतों में खुद को ढालना चाहिए। अभी तक बचत नहीं कर रहे थे, तो अब बचत करना चाहिए।
पैदल चलने की आदत डालें
लॉकडाउन के चलते पहले पैसों में कमी ना होने के कारण कहीं पर भी कुछ भी सामान लेना हुआ तो बाइक उठाकर चले जाते थे, अब कोशिश करें कि जितना पैदल चल सकें उतना पैदल चलें। कभी-कभी घर में बिना जरूरत लाइट चालू हैं, जिससे बिजली का बिल ज्यादा आता है, उसको हम बंद करने की आदत बनाएं तो बिजली बचत होगी। ऐसी कई आदतों को जीवन में उतारकर इस विषम परिस्थिति से लड़ा और निकला जा सकता है।