अध्यात्म

हमेशा सतगुरु की रजा में राजी रहना चाहिए, सतगुरु को सब पता है, कि उनके बच्चों को कब और क्या चाहिए

जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज्यादा है, आज मौका है कुछ कर लो, नहीं तो बहुत पछताओगे

एक सेवक ने अपने गुरु को अरदास की, जी मैं सत्संग भी सुनता हूं, सेवा भी करता हूं, फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला। सतगुरु ने प्यार से पूछा, बेटा तुम्हे क्या चाहिए। सेवक बोला- मैं तो बहुत ही गरीब हूं दाता। सतगुरु ने हंस कर पूछा, बेटा तुम्हें कितने पैसों की जरूरत है। सेवक ने अर्ज की, सच्चे पातशाह, बस इतना बख्श दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत हो।

गुरु ने पूछा और ज्यादा की भूख तो नहीं है बेटा। सेवक हाथ जोड़ के बोला नहीं जी, बस इतना ही बहुत है। गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ, जहां ये बुझ जायें, वहां खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना। अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना, लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फंस जाओगे।

सेवक बहुत खुश हो कर चल पड़ा, जहां मोमबत्ती बुझ गई, वहां खोदा तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला। बहुत खुश हुआ और सतगुरु का शुक्राना करने लगा थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जाकर ऐश करूंगा। मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा तो वहां हीरे-मोती मिल गये। खुशी बहुत बढ़ गई, पर इसके साथ ही मन की भूख भी बढ़ गई।

तीसरी मोमबत्ती जलाई और उत्तर दिशा में चला, वहां से भी बेशुमार धन मिल गया। सोचने लगा की चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा के लिए गुरु ने मना किया था। सोचा, शायद वहां से भी कोई अनमोल चीज मिलेगी। मोमबत्ती जलाई और दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा। जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से खुदाई करने लगा। खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गया। अंदर इक और दरवाजा दिखाई दिया, उसे भी खोल के अंदर चला गया। अंधेरे कमरे में उसने देखा, एक आदमी चक्की चला रहा है।

सेवक ने पूछा भाई तुम कौन हो। चक्की चलाने वाला बहुत खुश होकर बोला, ओह, आप आ गये, यह कह कर उसने वो चक्की गुरु के सेवक के आगे कर दी।
सेवक कुछ समझ नहीं पाया और चक्की चलाने लगा। सेवक ने पूछा भाई तुम कहां जा रहे हो। अपनी चक्की सम्भालो, इस पर आदमी ने कहा, मैने भी अपने सतगुरु का हुक्म नहीं माना था और लालच के मारे यहां फंस गया था। बहुत रोया, गिड़गिड़ाया, तब मेरे सतगुरु ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहां आएगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगी।

आज तुमने भी अपने गुरु की हुक्म अदूली की है, अब भुगतो। सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगा। वो आज भी इंतजार कर रहा है, कि कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आएगा, तभी उसकी मुक्ति होगी।

हमेशा सतगुरु की रजा में राजी रहना चाहिए, सतगुरु को सब कुछ पता है, कि उनके बच्चों को कब और क्या चाहिए। जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज्यादा है, बस अब सब्र करो और प्रेम से भजन करो। कल तो क्या एक पल का भी भरोसा नहीं है जी, आज मौका है, कुछ कर लो, नहीं तो बहुत पछताओगे।

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