मध्य प्रदेश

श्रमिकों को परिवार पालना हो रहा मुश्किल

दोपहर की शिफ्ट में कारखाना पहुंच रहे कर्मचारियों को 44 डिग्री तापमान में खड़े होकर कारखाने में जाने के लिए इंतजार करना पड़ता है। दो गेट होने के बाद भी एक गेट ही खोला जा रहा है, जिससे लंबी लाइन लग रही है।

सोसायटियों ने नहीं दिया अपे्रल माह का वेतन, भेल में कार्यरत ठेका श्रमिक परेशान
भेल. भेल कारखाने में सोसायटियों के माध्यम से काम करने वाले श्रमिकों को अब तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया। ऐसे में इन श्रमिकों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गौरतलब है कि भेल कारखाने में पांच सोसायटियों के माध्यम से हजारों की संख्या में श्रमिक कार्यरत हैं, जिन्हें अब तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया, जबकि दूसरा महीना बीतने को है।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान किए गए लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कंपनियों और लोगों से श्रमिकों का वेतन नहीं काटने और उन्हें वेतन देने की अपील की थी। इसके बाद भी भेल में करीब साढ़े बारह सौ श्रामिकों को अब तक वेतन नहीं दिया गया। ऐसे में इन श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ श्रमिकों ने बताया कि वेतन नहीं मिलने से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है। दरअसल कारखाने में लेबर सप्लाई करने वाली पांच सोसायटियों और महिला कल्याण समिति के माध्यम से कार्य करने वाले करीब साढ़े बारह सौ श्रमिकों को अपे्रल माह का वेतन अब तक नहीं दिया गया है।

ठेका श्रमिकों का आरोप है कि कारखाने में कार्य करने वाले नियमित कर्मचारियों को प्रबंधन एक लाख की सैलरी का भुगतान प्रत्येक माह की एक तारीख को कर देता है, लेकिन श्रमिकों को सैलरी में बजट देने का रोना रोया जाता है। उनका कहना है मई का महीना बीतने वाला है, फिर भी प्रबंधन और सोसायटियों की ओर से वेतन देने की कोई पहल नहीं की गई। प्रबंधन सोसायटी वर्करों के वेतन भुगतान को लेकर लगातार उदासीन बना हुआ है।

हैदराबाद भेल में है यह व्यवस्था
गौरतलब है कि हैदराबाद बीएचईएल कारखाने में कार्यरत सोसायटी वर्करों को वेतन देने में देरी होने पर इनकी मदद के लिए सोसायटी खुद आगे आई है। माह की शुरुआत में ही सोसायटी ने अपनी बचत में से प्रति वर्कर 6000-6000 हजार रुपए एडवांस के रूप में दिया है। वहीं, भोपाल में संचालित पांचों सोसायटियों के कर्ताधर्ता प्रबंधन का मुंह ताक रहे हैं और श्रमिक दाने-दाने को मोहताज हो रहा है। श्रमिकों की माने तो न उन्हें एडवांस दिया गया और ना ही वेतन।

भेल प्रबंधन को मानवीय आधार पर वेतन का भुगतान करवाना चाहिए। सोसायटी वर्करों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दास्त नहीं होगा। दो-तीन दिन में प्रबंधन निर्णय नहीं करता है तो यूनियन को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इसकी जवाबदारी प्रबंधन की होगी।
मनोज सिंह जादौन, अध्यक्ष, ठेका मजदूर संघ

 

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