नई दिल्ली
शुक्रवार को सौराष्ट्र की जीत के साथ देश का रणजी सीजन खत्म हो गया। जयदेव उनादकत की कप्तानी में अपने घर बंगाल से खेलने उतरी सौराष्ट्र ने पहली यह खिताब अपने नाम किया। लेकिन सौराष्ट्र की जीत से ज्यादा चर्चाएं राजकोट स्टेडियम की पिच की रही, जहां गेंद में उछाल ही नहीं दिख रही थी। दोनों टीमों को बॉल से तालमेल बैठाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। मैच के 5वें दिन भी दोनों टीमों की सिर्फ एक-एक पारी भी मुश्किल से खत्म हो पाई।
ऐसी पिचें रहीं तो विदेशों में कैसे जीतेगी टीम इंडिया?
अब टीम इंडिया के हाल ही में खत्म हुए न्यूजीलैंड दौरे को याद कीजिए। 0-2 से टेस्ट सीरीज हारकर लौटी टीम इंडिया की सबसे बड़ी खामी यही थी कि उसके बल्लेबाज कीवी गेंदबाजों की उछाल लेती गेंदों को संभाल नहीं पा रहे थे। टीम के बाउंसर खेलने के तरीके पर क्रिकेट विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए थे। लेकिन जब घरेलू क्रिकेट खेलने वाले बल्लेबाजों को उनके घर पर ऐसी पिचें दी जाएंगी, जहां गेंद को घुटनों से कमर तक ऊपर उठने के लिए भी संघर्ष करना पड़े तो फिर वह अचानक विदेशी दौरों पर जाकर बाउंसर को कैसे संभाल सकेंगे?
कोच अरुण लाल ने पिच को कहा 'वेरी पुअर'
बंगाल के कोच अरुण लाल ने पहले ही दिन से पिच को 'वेरी पुअर' (घटिया) श्रेणी का करार दिया। यहां तक मेजबान टीम के खिलाड़ियों ने भी माना की पिच मुश्किल थी और यहां बल्लेबाजों को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा था। रणजी स्तर पर ऐसी पिचें देखकर कोच अरुण लाल बेहद नाराज थे। उन्होंने इस पिच के बारे में कहा था, 'बहुत ही खराब विकेट है। बोर्ड को ऐसी चीजों में दखल देना चाहिए। बॉल उछाल ही नहीं ले रहा, इसे ठीक से तैयार ही नहीं किया गया। यह बहुत ही खराब है।'
पिच क्यूरेटर ने नहीं किया अपना काम
तटस्थ क्यूरेटर के कामकाज से भी बंगाल के कोच खासे नाराज थे। लाल ने कहा, 'आपके पास यहां तटस्थ क्यूरेट थे। बोर्ड को इसमें देखना ही चाहिए। बोर्ड को मैच से 15 दिन पहले अपने क्यूरेटर भेजने चाहिए। इस बार क्यूरेटर ने अपना काम सही से नहीं किया।'
क्या हमें विदेशों के लिए घर पर तैयारी नहीं करनी चाहिए?
भारतीय टीम जब भी SENA (साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों का दौरा करती हैं, तो मेजबान टीमें यहां उसका स्वागत तेज और उछाल भरी पिचों से ही करती हैं। यही कारण है कि बीते 88 सालों से टेस्ट क्रिकेट खेल रही टीम इंडिया का प्रदर्शन SENA देशों में इतना खास नहीं रहा। भारत साउथ अफ्रीका में कभी कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीता है। अगर घरेलू मैचों में ही खासतौर से रणजी स्तर पर टीम इंडिया को तेज गति और उछाल वालीं पिचें दी जाएं तो ही टीम इंडिया इन देशों में जाकर इन्हें चुनौती दे पाएगी।