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कोरोना वायरस: आगरा के परिवार ने जीती महामारी से जंग 

 आगरा 
कोरोना वायरस की दहशत और खौफ के दौर में आगरा के लिए अच्छी खबर आई है। 13 दिन तक दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती रहे एक ही परिवार के चार लोगों ने महामारी से जंग जीत ली है। शनिवार की शाम स्वस्थ होकर आगरा लौटे इन चारों लोगों का ताल्लुक जूता कारोबारी परिवार से है। स्थानीय जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने खुशी जताते हुए कहा- इससे शहर में सकारात्मक माहौल बनेगा और दहशत कम होगी। हालांकि संक्रमित कारोबारी समेत चार लोगों का दिल्ली में उपचार जारी है।

दिल्ली में एक जूता कारोबारी को कोरोना संक्रमित पाए जाने पर शक की सुई आगरा के दो जूता कारोबारी भाइयों पर आकर टिकी थी। यह दोनों भाई भी अपने परिवार के साथ इटली घूमने ही नहीं गए थे बल्कि एक नामचीन होटल की पार्टी में भी शरीक हुए थे। कोरोना वायरस संभावित मानते हुए एक मार्च को परिवार के छह सदस्यों के नमूने लेकर केजीएमयू लखनऊ भेजे गए। अगले ही दिन जब इन नमूनों को पॉजिटिव पाया गया तो देश-प्रदेश में हड़कंप मच गया। पुनर्परीक्षण के लिए एनआईवी पुणे भेजे गए छह नमूनों में से पांच को संक्रमित पाया गया। प्रशासन ने जिला अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड से उन्हें दो मार्च को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल भेज दिया। छह मार्च को जूता कारोबारी की फैक्ट्री के मैनेजर को भी संक्रमित पाया गया। सात मार्च को मैनेजर की पत्नी भी पॉजिटिव निकली। इन दोनों को भी दिल्ली में भर्ती करा दिया गया।

शनिवार शाम जूता कारोबारी के पिता-माता, पत्नी व छोटा भाई स्वस्थ होकर आगरा पहुंच गए। उनके मुताबिक, अस्पताल में 14 दिन रहना कठिन परीक्षा थी। अस्पताल की व्यवस्थाओं की दिल खोलकर तारीफ करते हुए कहा कि, ईश्वर ने साथ दिया और सबकी दुआओं से हम ठीक होकर घर लौट आए। हम ही जानते हैं कि हमारा उस अवधि में एक-एक पल कैसे गुजरा। स्वस्थ होकर आए भाई के अनुसार, परिवार के दो अन्य सदस्यों की एक रिपोर्ट आ चुकी है। एक रविवार को आएगी। इस आधार पर उन्हें डिस्चार्ज करने का निर्णय लिया जाएगा। यहां बताते चले कि इन लोगों के साथ ही दिल्ली के जूता कारोबारी को भी शनिवार की शाम डिस्चार्ज कर दिया गया, जो रिश्ते में इस परिवार के जीजा लगते हैं। उन्हें भी इसी अस्पताल में रखा गया था।

डॉक्टर देते रहे सांत्वना
कारोबारी ने बताया कि सफदरजंग के आईसोलेशन वार्ड में डाक्टरों की उच्चस्तरीय टीम लगातार हमारी निगरानी करती रही। दिन में चार-चार बार कई तरह के टेस्ट होते थे। खाने में बिल्कुल सादा भोजन दिया जाता था। नाश्ता भी पौष्टिक ही रहता था। कोई किसी से मिल नहीं सकता था। केवल डॉक्टर व नर्स ही संपर्क में थे। वे समझाते रहे कि डरने की जरूरत नहीं। दूसरी और बीमारियां होने पर ही कोरोना खतरनाक हो सकता है। हम लोगों को पहले ही दिन से बुखार तक नहीं आया था, इस कारण इलाज में सहूलियत रही।

हजारों घर सैनेटाइज किए
तीन दिन में सात लोगों के कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर आए और संक्रमित मरीजों के कनेक्शन तलाशने में कई टीमें लगा दीं। इटली से आने के बाद की अवधि में इनके संपर्क में आए लगभग तीन सौ लोगों के नमूने लेकर जांच के लिए लखनऊ केजीएमयू भेजे गए। आसपास के 50 हजार से अधिक घरों-फ्लैट्स को सैनेटाइज करने के साथ ही उन लोगों को चिन्हित किया गया, जिन्हें खांसी-जुकाम या बुखार की शिकायत थी।

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