भोपाल
सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के किसानों को तौहफा दिया है। सरकार ने एक अप्रैल से किसानों को गेहूं का बोनस बांटना तय किया है। इस दायरे में 11.75 लाख से ज्यादा किसान आएंगे। यह बोनस 160 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दिया जाएगा।
दरअसल, गेहूं का बोनस देने का वादा कांग्रेस सरकार के वचन-पत्र में था। केंद्र की बंदिश के कारण सरकार इसे बांट नहीं रही थी, लेकिन सियासी घमासान के बीच अब सरकार ने फैसला किया है कि केंद्र की बंदिश के कारण जो आर्थिक बोझ बढऩा है वह उठाया जाए। इस कारण एक अप्रैल से किसानों को गेहूं का बोनस बांटने के निर्देश सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को दे दिए हैं। इसके तहत कृषि विभाग अब बोनस वितरण की तैयारी शुरू कर देगा। यह बोनस वित्तीय सत्र 2018-19 का है, जो तत्कालीन भाजपा सरकार को देना था। इसके अलावा बाकी के समय का बोनस भी सरकार देगी।
आर्थिक बोझ का गणित ऐसा-
केंद्र ने मध्यप्रदेश सरकार को कहा था कि यदि गेहूं पर कोई बोनस या प्रोत्साहन राशि दी जाती है, तो वह राज्य का गेहूं नहीं खरीदेगी। इसलिए सरकार ने केंद्र की गेहूं खरीदी का इंतजार किया। अब सरकार पर करीब 1500 करोड़ रुपए का बोझ केंद्र द्वारा बचा हुआ गेहूं नहीं खरीदने पर आ रहा है। इस बोझ का राज्य सरकार ने उठाना तय कर लिया है। वहीं किसानों को 160 रुपए बोनस देने पर करीब 1200 करोड़ रुपए का बोझ आएगा। इस तरह बोनस के कारण करीब 2700 करोड़ रुपए का बोझ राज्य सरकार को उठाना होगा।