नई दिल्ली
दिल्ली दंगों पर सुनवाई के दौरान पुलिस को फटकार लगाने वाले हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले के सवाल पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष को करारा जवाब दिया है. गुरुवार को राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि उनका एक रूटीन तबादला था. विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए अमित शाह ने कहा, 'बेबुनियाद आरोप लगाने वालों से मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सिर्फ एक ही जज न्याय कर सकता है? क्या दूसरे जज पर आपको भरोसा नहीं हैं? यह कैसा हठ है कि एक ही जज न्याय कर सकता है.'
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट में कर दिया था. मुरलीधर का तबादला उस समय सामने आया था, जब वो दिल्ली दंगों की सुनवाई कर रहे थे. दिल्ली दंगों को लेकर जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी और पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को तलब किया था. इस बीच जब जस्टिस मुरलीधर का तबादला हुआ, तो विपक्ष ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी.
गुरुवार को राज्यसभा में अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 76 फीसदी दंगे कांग्रेस के शासनकाल में हुए. उन्होंने राज्यसभा में कांग्रेस के शासनकाल में हुए दंगों को भी गिनाया. साथ ही कहा कि दंगाई चाहे जिस भी पार्टी, जाति या धर्म का हो, उसको बख्शा नहीं जाएगा. हम दंगाइयों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे. हमारी फितरत दंगे कराने की नहीं है, बल्कि दंगाइयों को सलाखों के पीछे भेजने की है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली दंगों में मारे गए आईबी अफसर अंकित शर्मा और दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल रतनलाल के हत्यारों की पहचान कर ली गई है. आरोपियों की गिरफ्तारी भी कर ली गई है.
इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली दंगों को साजिश का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं के भड़काऊ भाषण के बाद दिल्ली में दंगे हुए. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन किए गए, जो बाद में दंगे में तब्दील हो गए. अमित शाह ने कहा कि सीएए पर विपक्ष ने मुसलमानों को गुमराह किया है और उनके मन में डर बैठाया गया.
अमित शाह ने कहा कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. यह नागरिकता छीनने वाला नहीं, बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है. जहां तक एनपीआर की बात है, तो उसमें किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं हैं. इस बीच राज्यसभा में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद की अमित शाह से बहस भी देखने को मिली.