मध्य प्रदेश

कई जिलाध्यक्षों और संगठन नेताओं के इस्तीफे, ज्योतिरादित्य के जाते ही कांग्रेस में बड़ी टूट

 
भोपाल

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के संगठन में बड़ी बगावत के संकेत मिलने लगे हैं। कांग्रेस पार्टी से ज्योतिरादित्य की रवानगी के साथ ही संगठन के कई जिलाध्यक्षों ने भी अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को सौंपा है। इन नेताओं में कई चेहरे ऐसे भी हैं, जिन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का बेहद खास कहा जाता रहा है।
ज्योतिरादित्य के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद शिवपुरी, गुना, ग्वालियर, मुरैना आदि कई जिलों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इन नेताओं में कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी, कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मनोजपाल यादव, मुरैना के जिलाध्यक्ष राकेश मावई, जिला महामंत्री हरिओम शर्मा, भोपाल के कार्यकारी जिलाध्यक्ष कृष्णा घाडगे, इंदौर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष प्रमोद टंडन समेत करीब दर्जन भर नाम शामिल हैं।
 

कांग्रेस पर सिंधिया की उपेक्षा का आरोप
कांग्रेस संगठन में इस बड़ी टूट के बावजूद अभी प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है। नेताओं ने अपने इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपमान करने और उनकी उपेक्षा का आरोप लगाया है। हालांकि इन नेताओं ने अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में अभी कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। दूसरी ओर यह माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य के कांग्रेस से बीजेपी में जाने के बाद इनमें से कई नेता भी भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन जाएंगे।

सिंधिया परिवार के चलते दोहरा रहा इतिहास
मध्य प्रदेश में 53 साल बाद इतिहास एक बार फिर अपने आपको दोहरा रहा है। आज से 53 साल पहले 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वजह से कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी। अब उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता से बेदखल हो रही है। 1967 में विजयाराजे ने कांग्रेस को अलविदा कहकर लोकसभा चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की। अब ज्योतिरदित्य बीजेपी से राज्यसभा में जा सकते हैं।
 

उल्लेखनीय है कि 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले। डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था। अब एक बार फिर वही पटकथा लिखी गई है। ज्योतिरादित्य खेमे के 22 कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।
 

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