राजनीति

स्पीकर का अपमान: निलंबन पर नहीं मानेगी सरकार

नई दिल्ली
दिल्ली हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा में हंगामा करने वाले कांग्रेस के सात सांसद निलंबित किए जा चुके हैं। अब सरकार कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई की सदस्यता खत्म करने की मांग जोरशोर से उठा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सांसदों के सस्पेंशन को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।

संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, 'कांग्रेस सांसदों की अनुशासनहीनता और एक सांसद की ओर से कागज छीने जाने की जांच के लिए सरकार ने कमिटी गठन की मांग की थी। स्पीकर ने इसे स्वीकार कर लिया है।' उन्होंने यह बी कहा कि स्पीकर के टेबल से कागज छीनने वाले सदस्य (गोगोई) की सदस्यता खत्म होनी चाहिए। जोशी ने कहा, 'कागज छीनना आसन का घोर अपमान है। हम इसकी निंदा करते हैं। यह अभूतपूर्व है, संसदीय इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।'

इस बीच, बीजेपी ने कांग्रेस के सात सांसदों को मौजूदा सत्र के लिए निलंबित किए जाने के फैसले का स्वागत किया। पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव ने कहा कि सांसदों का आचरण शर्मनाक था और आसन के अधिकार का उल्लंघन करने वालों को अधिकतम सजा मिलनी चाहिए।

यादव ने कहा, 'स्पीकर के टेबल से कागज फाड़ने के लिए सात सांसदों को निलंबित किया गया है, जोकि अभूतपूर्व घटना है। कांग्रेस सांसदों का व्यवहार ना केवल शर्मनाक है, बल्कि संसदीय प्रणाली को शर्मसार किया है।' उन्होंने कहा कि विचार में भिन्नता, बहस और चर्चा संसदीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं, कई बार नोकझोंक भी हो जाती है। लेकिन स्पीकर के टेबल से कागज फाड़ना स्पीकर के अधिकार का अपमान है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कांग्रेस सांसदों का व्यवहार अभूतपूर्व था। इसने हमारे देश के संस्थापकों को हैरान किया होगा।

इन्हें किया गया है निलंबित
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सदस्यों गौरव गोगोई, टी एन प्रतापन, डीन कुरियाकोस, राजमोहन उन्नीथन, बैनी बहनान, मणिकम टेगोर और गुरजीत सिंह औजला को निलंबित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। पीठासीन सभापति ने मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'जिन माननीय सदस्यों को निलंबित किया गया है वे तुरंत बाहर चले जाएं।' इससे पहले पीठासीन सभापति लेखी ने कहा, 'आज दोपहर सदन में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने सभा की कार्यवाही से संबंधित आवश्यक कागज अध्यक्षीय पीठ से बलपूर्वक छीन लिए और उछाले गए। संसदीय इतिहास में ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण आचरण संभवत: पहली बार हुआ है जब अध्यक्ष पीठ से कार्यवाही से संबंधित पत्र छीने गये। मैं इस आचरण की घोर निंदा करती हूं।'

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