नई दिल्ली
अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद पर मंगलवार को उच्चचम न्यायालय में 13वें दिन की सुनवाई हुई जिसमें मामले के एक पक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपनी बहस पूरी कर ली। अखाड़े ने विवादित स्थल के पूजा प्रबंधन का अधिकार बताया और कहा कि उसके इस अधिकार में रामलला विराजमान और जन्मस्थान भी आड़े नहीं आ सकते।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ को राम जन्मस्थान पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने बताया कि मस्जिद किसने बनाई इस पर विवाद है, लेकिन इसमें कोई विवाद नहीं है कि यहां एक भव्य मंदिर था। जिसे मुगलकाल में तोड़कर उसकी जगह मस्जिद खड़ी की गई।
मिश्रा ने दलील दी कि इस मस्जिद में कभी कोई इमाम या मुअज्जन नहीं रहा है जो अजान देकर लोगों को नमाज के लिए बुलाता हो। इस ढांचे में मस्जिद के कोई चरित्र नहीं था। इस्लाम में कहा गया है कि मस्जिद पूर्ण स्वामित्व वाली जमीन पर हो और उसे किसी इमारत को तोड़कर नहीं बनाया गया हो। उसमें अजान देने हो और उसका वक्फ सृजित किया गया हो। मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
अब आगे कौन करेगा बहस
राम जन्मभूमि विवाद मसले पर उच्चतम न्यायालय में एक पक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपनी बहस पूरी कर ली है। मंगलवार को रामजन्मस्थान पुनरोध्दार समिति ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखान शुरू किया है। इसके बाद हिंदू महासभा बहस करेगी। हिंदू महासभा के बाद विश्व हिंदू परिषद और इसके बाद मुस्लिम पक्ष अपनी दलील रखेंगे।