भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग अपने खान-पान और सेहत का सही से ख्याल नहीं रख पाते। इन दिनों सबसे ज्यादा बीमारियां अगर किसी वजह से हो रही हैं तो वह है गलत खानपान की वजह से। फास्ट फूड, तली भुनी और डीप फ्राइड चीजें खाना, हेल्दी फूड न लेने से कई प्रॉब्लम्स और बीमारियां आपको अपनी गिरफ्त में ले रहीं हैं और इन्हीं में से एक है फैटी लिवर की समस्या। फैटी लिवर है तो बहुत आम समस्या, लेकिन सही समय पर अगर इसका ट्रीटमेंट न किया जाए तो आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है।
फैटी लिवर बीमारी के लक्षण
बीएलके सुपर स्पेशिऐलिटी अस्पताल में लिवर प्रत्यारोपण एक्सपर्ट डॉ. अभिदीप चौधरी कहते हैं कि आप लक्षणों से समझ सकते हैं कि आपको फैटी लिवर की समस्या तो नहीं है। इसमें आपको थकान, भूख न लगना, कमजोरी, उल्टी की फीलिंग आना, किसी काम में ध्यान न लगना, लिवर का आकार बढ़ना और पेट दर्द वगैरह शामिल हैं। फैटी लिवर की समस्या मुख्य रूप से 2 तरह की होती है- ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर और नॉन ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर। इन दिनों नॉन ऐल्कॉहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी ज्यादा फैल रही है और ये मुख्य रूप से गलत खानपान की वजह से ही होती है।
कॉफी
फैटी लिवर डायट में कॉफी पी सकते हैं। कॉफी में क्लोरोजेनिक ऐसिड, पॉलिफेनॉल, मेथिलक्सैन्थिन, कैफीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, नाइट्रोजन यौगिक, निकोटिनिक ऐसिड, पोटैशियम और मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में होता है। कॉफी में मौजूद कैफीन, अबनॉर्मल लिवर एन्जाइम्स की संख्या को कम करने में मदद करता है।
फिश ऑयल और फिश
फिश ऑइल में एन-3 पॉलिअनसैच्युरेटेड फैटी ऐसिड पाया जाता है, जो फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। इसके अलावा साल्मन, ट्यूना और ट्राउट जैसी मछलियों में भी ओमेगा 3 फैटी ऐसिड पाया जाता है जो सूजन और जलन की समस्या को कम कर लिवर फैट के लेवल को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
ब्रॉकली है फायदेमंद
हरी-हरी गोभी जिसे ब्रॉकली कहते हैं में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो बॉडी में ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा को कम करते हैं और लिवर में होने वाले फैट बिल्डअप को भी कम करने में मदद करते हैं। लिहाजा ब्रॉकली के साथ-साथ पालक, केल और कई हरी सब्जियों को डायट में शामिल करें।
डेयरी प्रॉडक्ट्स
दूध और लो-फैट डेयटी प्रॉडक्ट्स के उपयोग शरीर में इंसुलिन की सक्रियता बढ़ती है जिससे ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। साथ ही साथ डेयरी प्रॉडक्ट्स में वे-प्रोटीन भी पाया जाता है जो लिवर को होने वाले नुकसान से बचाने का काम करता है।
ओटमील से डाइजेशन होगा बेहतर
ओट्स में कार्बोहाइड्रेट्स और बीटा-ग्लूटन भारी मात्रा में पाया जाता है। रिसर्च में प्रमाणित किया गया है कि यह तत्व डाइजेस्ट करने की प्रोसेस को ऐक्टिव करता है। साथ ही ओट्स में मौजूद फाइबर भी आपके वजन को बनाए रखने में मदद करता है और लिवर को भी हेल्दी रखता है।
लिवर को हेल्दी बनाता है अखरोट
अखरोट में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, ओमेगा-6 फैटी ऐसिड और ऐंटिऑक्सिडेंट्स गुण पाए जाते हैं, जो फैटी लिवर वालों के लिए फायदेमंद है। रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है जो लोग फैटी लिवर की बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें अखरोट खाना चाहिए क्योंकि इससे उनका लिवर हेल्दी बनता है और लिवर का फंक्शन भी बेहतर तरीके से हो पाता है।
ऐवकाडो खाना फायदेमंद है
ऐवकाडो में हेल्दी फैट्स की मात्रा काफी अधिक होती है और यह कम कैलरी वाला खाद्य पदार्थ है। इसलिए, इसे फैटी लिवर से ग्रस्त व्यक्ति के लिए लाभकारी माना जा सकता है। रिसर्च की मानें तो ऐवकाडो में ऐसे कई केमिकल्स पाए जाते हैं जो लिवर को होने वाले डैमेज की प्रक्रिया को स्लो करने में मदद करते हैं। साथ ही ऐवकाडो में फाइबर की मात्रा भी अच्छी खासी होती है और यह भी लिवर के लिए फायदेमंद है। हालांकि इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
फैटी लिवर में क्या न खाएं
ऐल्कॉहॉल- फैटी लिवर डिजीज और लिवर से जुड़ी कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है ऐल्कॉहॉल। लिहाजा इसके सेवन से बचें।
शुगरी प्रॉडक्ट- कैंडी, कुकीज, सोडा और फ्रूट जूस जैसे शुगरी प्रॉडक्ट्स से दूर रहें। ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने से लिवर में फैट का बिल्डअप भी बढ़ता है।
फ्राइड फूड- इनमें फैट और कैलरीज की मात्रा बहुत अधिक होती है।
नमक- ज्यादा नमक खाने से शरीर में पानी की मात्रा अधिक बढ़ जाती है जिसका लिवर पर बुरा असर पड़ता है।
वाइट ब्रेड- वाइट ब्रेड, वाइट राइस या पास्ता ये सभी प्रोसेस्ड होते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और इनमें फाइबर की मात्रा भी कम होती है।