भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस (Congress) के अंदर मची अंतर्कलह शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई है. राज्य के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijaya singh) और वर्तमान वनमंत्री उमंग सिंघार (Umang Singhar) के बीच जारी विवाद पर एमपी कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट के मुताबिक दिग्विजय सिंह द्वारा काम का हिसाब मांगा जाना कुछ मंत्रियों को नागवार गुजरा है. मंत्री इस जवाबदेही से खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह को ब्लैकमेलर बता दिया था. बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान इस बयान पर सख्त नाराज है. राज्य प्रभारी दीपक बावरिया ने भी रिपोर्ट में माना है कि उनके उमंग के बयान से पार्टी की छवि को नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक उमंग इस बयानबाजी से बच सकते थे.
इससे पहले यह भी खबर आई थी ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री उमंग सिंघार के समर्थन में उतर आए हैं. सिंधिया ने सरकार चलाने में बाहरी हस्तक्षेप को गैरवाजिब ठहराया था. सिंधिया ने कहा था कि सीएम को इस मामले में पहल कर दोनों पक्षों को सुनकर निपटारा करना चाहिए. सीएम का ये दायित्व है कि वे इस विवाद को निपटाएं.
इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर भी काफी तनातनी की खबरें आ रही थीं. ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं थीं. लेकिन इन खबरों तब पूर्ण विराम लग गया जब यह बात पुख्ता हो गई कि सीएम कमलनाथ के हाथों ही पार्टी की भी कमान रहेगी.
पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी. मौजूदा पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamalnath) ही इस पद पर बने रहेंगे. सूत्रों के हवाले से ख़बर मिली है कि पीसीसी चीफ को लेकर हो रही सियासत और विवाद को देखते हुए पार्टी ने ये फैसला किया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी निकट भविष्य में मध्य प्रदेश में कोई विवाद नहीं चाहती हैं. लिहाजा पीसीसी चीफ की नियुक्ति टाल दी गई है. पार्टी हाईकमान नहीं चाहता कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए अखाड़ा बन जाए और विवाद बढ़े.