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विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मामले में सुनवाई के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

 प्रयागराज 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल मुकदमे की सुनवाई पर अधीनस्थ अदालत वाराणसी के आदेश पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की याचिका पर दिया है। अधीनस्थ अदालत ने गत चार फरवरी को यह कहते हुए सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था कि हाईकोर्ट में लंबित याचिका पर पारित अंतरिम आदेश काफी समय से नहीं बढ़ाया गया है। छह माह बाद अंतरिम आदेश विखंडित माना जाए और केस की सुनवाई की जाए।

याची का कहना था कि उसकी याचिका पर अंतरिम आदेश से अधीनस्थ अदालत को मुकदमे की सुनवाई करने पर रोक लगाई गई थी। अंतरिम आदेश न बढाए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या करते हुए कोर्ट ने सुनवाई करने का आदेश देकर गलती की है। अधीनस्थ अदालत का कहना था कि छह माह बीत जाने के बाद भी अंतरिम आदेश नहीं बढाया गया इसलिए आदेश स्वतः विखंडित हो गया है।

मामले के तथ्यों के अनुसार वर्ष 1998 में याची ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर सिविल कोर्ट के सुनवाई के अधिकारिता पर आपत्ति की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। यह अर्जी स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ मूर्ति के नाम से वाराणसी के जिला न्यायालय की अदालत में विचाराधीन मुकदमे में दाखिल की गई थी। अर्जी में कहा गया कि मंदिर महाराजा विक्रमादत्यि ने 2050 वर्ष पहले बनवाया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने वर्ष 1664 में मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद में तब्दील कर दिया। मुकदमे में मस्जिद को हटाने और मंदिर का कब्जा वापस करने की मांग की गई है। कहा गया है कि मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर मस्जिद मे तब्दील किया गया है। याचिका पर अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी।

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