रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और ओडिशा (Odisha) के बीच चल रहे महानदी जल विवाद (Mahanadi Water Dispute) का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. महानदी पानी के विवाद के कारण ही छत्तीसगढ़ के उद्योगों से लेकर सिंचाई परियोजनाओं पर विराम लग गया है. इसका असर प्रदेश के औद्योगिकीकरण और खेतों की सिंचाई पर पड़ना शुरू हो गया है. महानदी पर बन रही करीब 1000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के काम भी विवाद के चलते थम गए हैं.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) और ओडिशा (Odisha) में सबसे बड़ी नदी महानदी है. महानदी का उद्गम रायपुर के नजदीक धमतरी जिले में स्थित सिहावा नाम के पर्वत श्रेणी से हुआ है. महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है. बता दें कि महानदी के पानी का विवाद करीब 33 सालों से चला आ रहा है. यह विवाद इतना बढ़ गया कि इसकी सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय ने साल 2018 में ट्रिब्यूनल का गठन किया है. महानदी के पानी और इस पर हो रहे छह बैराजों के निर्माण को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ में लंबे समय से विवाद चल रहा है. सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल द्वारा तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई. इसमें जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस इंदरमीत कौर को शामिल किया गया है.
छत्तीसगढ़ से निकलने वाली महानदी के पानी का विवाद पिछले कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन लेकिन महानदी के पानी के विवाद का मसला हल नहीं हो पा रहा है. पानी के विवाद को लेकर पूर्व सीएम अजीत जोगी का कहना है कि जो लड़ाई 15 सालों में तत्कालीन बीजेपी सरकार को लड़नी चाहिए थी, उसने उस तरीके से लड़ी नहीं.
छत्तीसगढ़ से निकलने वाली नदी महानदी के पानी का ज्यादा उपयोग ओडिशा द्वारा किया जा रहा है. प्रदेश में 15 साल तक सीएम रहे डॉ. रमन सिंह का कहना है कि उन्होंने अपनी तरफ से तो लाख कोशिशें की थी, लेकिन ओडिशा ने हमारी बात को नहीं माना था. इसके चलते ही विवाद सुलझ नहीं पााया.
प्रदेश के जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि महानदी पानी का विवाद का मामला ट्रिबुनल में चल रहा है. हम चाहते हैं कि इस मामले केन्द्र सरकार हस्ताक्षेप करे और इस मसले को सुलझाने में मदद करे. इसलिए हमारी सरकार एक अलग से प्राधिकरण का गठन करके सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का काम करने की तैयारी में है. बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी आगे महानदी के पानी का विवाद कब तक चलेगा. क्योंकि महानदी के पानी के विवाद के चलते ओडिशा और छत्तीसगढ़ की ऐसी कई परियोजनाएं हैं जो अधर में लटकी हुई हैं.