मध्य प्रदेश

अल्टरनेट प्रोजेक्ट फायनेंसिंग कार्यशाला: CM नाथ ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया जा सके

भोपाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि हम कैसे इकोनॉमिक एक्टिविटी जनरेट कर सकते हैं जिसके माध्यम से इंडस्ट्री को आकर्षित किया जा सके, खनिज संसाधनों का उपयोग किया जा सके और बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया जा सके। इसी भावना को लेकर अल्टरनेट प्रोजेक्ट फायनेंसिंग पर यह कार्यशाला हो रही है। हमारे प्रदेश के 70 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं और हमें कर्जमाफी जैसे फैसले लेने पड़े हैं। हालांकि हमें कई लोगों ने इसके लिए रोका पर हमने काम किया है। हमारी कोशिश है कि कैसे धोती और पाजामा पहनने वाले किसानों को जींस और टीशर्ट वाला किसान बनाएं।

सीएम नाथ ने ये बातें राजधानी के मिंटो हाल में अल्टरनेट प्रोजेक्ट फायनेंस को लेकर आयोजित कार्यशाला में कहीं। उन्होंने कहा कि आज बैंक बदल रहे हैं, आईटी सेक्टर बदल रहा है। ऐसी स्थिति में हमें राज्य में वित्तीय प्रबंधन की व्यवस्था को भी बदलना होगा। इसके लिए यहां आए लोगों से सुझाव लेंगे और जो निष्कर्ष होंगे उसे लागू करने की कोशिश करेंगे। परिवर्तन को हमें स्वीकार करना होगा। सीएम ने कहा कि वे हार्टिकल्चर को बढ़ावा देना चाहते हैं और एमपी में दालों, मसालों के कम उत्पादन को अधिक करने के लिए भी विचार करना चाहते हैं। एमपी में बड़ा फारेस्ट एरिया है। इसके भी उपयोग पर सुझाव चाहिए। एक्सपर्ट्स से उन्होंने कहा कि नया आर्थिक माड्यूल क्या हो, इस पर विचार करें।

वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अपनाए गए तरीकों का फायदा मिल रहा है और राजस्व बढ़ रहा है। मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा कि फायनेंस के क्षेत्र में हम दूसरे तरीकों की तलाश गंभीरता से कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में सामाजिक क्षेत्र, सिंचाई तथा कृषि, अधोसंरचना, ऊर्जा तथा औद्योगिक विकास पर विशेष सत्र हो रहे हैं। कार्यशाला में मंत्री जयवर्द्धन सिंह, प्रभुराम चौधरी, पीसी शर्मा भी मौजूद रहे।

योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा कई और भी चुनौतियां हैं। निवेश के वैकल्पिक रास्ते तलाशने होंगे। विकास का फायदा सबको मिलता है इसलिए समस्याओं का समाधान ढूंढना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में काफी संभावनाएं हैं लेकिन सरकार सिर्फ इस सेक्टर पर निर्भर नहीं रह सकती है। इसलिए उस दिशा में भी विचार करने की जरूरत है। पीपीपी माडल को लागू कर कई देश आगे बढ़े हैं। आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की अपनी मजबूरियां होती हैं। गौरतलब है कि आहलूवालिया मनमोहन सिंह सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे।

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