रायपुर
अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के पांचवां दिन की कार्यशाला में यशपाल शर्मा ने कहा कि सरकार जब मातृभाषा के बदले लोगों पर दूसरी भाषा थोपने का काम करती है तो समाज आंदोलित हो जाता है। इसका जीता जागता उदाहरण फिल्म फागुनी हवाएं में फिल्माया गया है। महिलाओं के शोषण व बाल विवाह का विषय पर केंद्रित फिल्म वीणा में सामाजिक ताने-बाने को सामने रखा गया। इस दौरान यशपाल शर्मा एफटीआईआई के निदेशक त्रिपुरारी शरण रंगकर्मी पवन शर्मा आदि उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में गोल्डन विवर अवार्ड प्राप्त निर्देशक श्वेता दत्त ने बताया कि उन्होंने किस तरह से फिल्म की दुनिया में प्रवेश किया। उन्होंने 2018 में मैन्सुरल हाइजेन पर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जिसके लिए उन्हें 8वां राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म फेस्टिवल 2018 में गोल्डन विवर अवार्ड मिला था। ये फिल्म फेस्टिवल विज्ञान के प्रसार के लिए होता है। फिर 2019 में उनकी डॉक्यूमेंट्री डार्क वर्ड को इंटरनेशनल और नेशनल अवार्ड मिले। छत्तीरगढ़ राज्य के बस्तर जिले के ऊपर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। वह जब बस्तर के ऊपर जब डॉक्यूमेंट्री बना रही थी तो उन्हें छत्तीसगढ़ के बस्तर जैसे नक्सली क्षेत्र को करीब से जानने को मिला। फिल्म की दुनिया में पहली फिल्म वन रक्षक पर्यावरण व ग्लोबल वार्मिंग पर केंद्रित है।