भोपाल
प्रदेश सरकार के मंत्री ने बुजुर्गों को तीर्थ स्थलों के दर्शन कराने के लिए चलाई जा रही तीर्थ दर्शन योजना (Teerth Darshan Yojana) को सरकारी खर्च पर तफरी करने वाली योजना करार दिया है. कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह (Cooperative Minister Govind Singh) ने तीर्थ दर्शन योजना को फालतू की योजना बताते हुए तीर्थ स्थल जाने वालों के श्रद्धा भाव पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा है कि लोग सरकारी योजना में सिर्फ भक्ति भाव से नहीं बल्कि घूमने के मकसद से तीर्थ स्थलों पर जाते हैं.
सहकारिता मंत्री ने लोगों को सलाह दी है कि मेहनत कर खुद के पैसे से भगवान के दर पर जाएंगे तो उनके जीवन में खुशहाली आएगी. जबकि उन्होंने योजना पर खर्च होने वाली राशि को छात्रों की पढ़ाई पर खर्च करने की जरुरत बताई है. साथ ही उन्होंने कहा कि योजना पर खर्च होने वाली राशि का दुरुपयोग हो रहा है. लोग बिना श्रद्धा के तीर्थ स्थलों पर तफरी करने जाते हैं और ऐसी योजनाएं विकास के बजाय सिर्फ वोटरों को लुभाने के लिए शुरू की गई हैं. अब उन्हें बंद किया जाना चाहिए.
आईफा अवार्ड पर खर्च होने वाली राशि को लेकर मंत्री गोविंद सिंह ने कहा है कि इसके जरिए प्रदेश के पर्यटन स्थलों को एक अलग पहचान मिलेगी और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इसलिए आईफा अवार्ड प्रदेश के विकास के लिए जरूरी है.
तत्कालीन शिवराज सरकार ने तीर्थ दर्शन योजना के जरिए प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थ स्थलों पर ले जाकर उन्हें धार्मिक लाभ दिलाने की शुरुआत की थी. सरकार बदलने के बाद कमलनाथ सरकार ने भी इस योजना को जारी रखा है. हालांकि सरकार ने बजट संकट के चलते हाल ही में रवाना होने वाली पांच ट्रेनों को फिलहाल रोक दिया है. वैष्णो देवी, रामेश्वरम, तिरुपति, काशी और द्वारका धाम के लिए तीर्थ दर्शन यात्रा होनी थी, लेकिन आईआरसीटीसी का 17 करोड़ का भुगतान नहीं होने के कारण सरकार ने फिलहाल इस पर ब्रेक लगा दिया है. जबकि 15 फरवरी को वैष्णो देवी के लिए जाने वाली ट्रेन को निरस्त कर दिया है और अब सरकार के मंत्री ने योजना को बंद करने की बात कही है.
मंत्री गोविंद सिंह के मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को बंद करने और श्रद्धालुओं के भक्ति भाव पर सवाल खड़े करने पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने निशाना साधा है .नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि सरकार धीरे-धीरे जन हित की सभी योजनाओं को बंद कर रही है और श्रद्धालुओं के भक्ति भाव पर सवाल खड़े करना उनका अपमान है.