भोपाल
प्रदेश में निवेश की संभावना को बढ़ाने के लिए सरकार ने लैंड बैंक बनाया है, इसके जरिए उद्योगपतियों को मर्जी के मुताबिक जमीन मिलेगी। उद्योगपतियों को मनपसंद स्थान पर ऑनलाइन जमीन बुक करने की सुविधा भी उन्हें दी गई है। यह लैंड बैंक नए और पुराने दोनों औद्योगिक क्षेत्रों में हैं। इंदौर में अगले माह होने वाले मैग्नीफिसेट मप्र में उन्हीं निवेशकों और उद्योगपतियों को आमंत्रित किया जाएगा जो निवेश करने पर सहमत होंगे इसलिए निवेशकों से पहले ही चर्चा की जा रही है। जमीन उन्हीं को दी जाएगी, जो उद्योग लगाने पर राजी होंगे। मप्र के विभिन्न इलाकों में बने औद्योगिक क्षेत्रों में लैंड बैंक की जमीनों को बताने के साथ भरोसा दिलाने का प्रयास हो रहा है कि सरकार उन्हें हर संभव मदद करेगी।
प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में 4855 लैंड बैंक हैं। इसमें सबसे ज्यादा इंदौर क्षेत्र में 1478 और दूसरे नंबर पर भोपाल में 1244 भूखंड है। जबकि जबलपुर में 591, ग्वालियर में 960 और रीवा में 582 लैंड बैंक हैं। निवेशकों को ऑनलाइन सुविधा भी है। वे विभाग की साइड में रजिस्टर्ड होकर मनपसंद स्थान पर भूखंड चुन सकते हैं।
कांग्रेस सरकार ने पिछली सरकारों से सबक सीखा है। राज्य में लगातार 15 साल तक सत्ता में रही भाजपा सरकार में कई इंवेस्टर्स समिट आयोजित हुई थी। इस समिट में निवेशक आए, उद्योगों के लिए जमीन भी मिली लेकिन उद्योग नहीं लगे। कई निवेशक तो ऐसे रहे जिन्होंने उद्योग लगाने के नाम पर जमीनें तो ले ली लेकिन यहां उद्योग नहीं लगाए। सरकार सख्त कदम उठाते हुए जमीनें वापस लेने का दबाव बनाया, इसलिए अब सरकार ने तय किया है कि जो तय समय सीमा में उद्योग लगाने वाले उद्योगपति को ही भूमि दी जाएगी।
गोवंश मांस के संबंधित कोई भी गतिविधि, पशुवध गृह, शहरी अपशिष्ट एकत्रीकरण एवं संग्रहण, कबाडिय़ों द्वारा कांच, पॉलीथीन, प्लास्टिक, पीवीसी, नायलान, रबर, लोहा जैसी वस्तुओं का संग्रहण एवं गे्रडिंग, रेत संग्रहण, ईट भटटा एवं चूना भटटा, आटो मोबाइल स्टाक यार्ड, शहरी एवं मृत पशु अपशिष्ट का प्रसंस्करण एवं उससे खाद बनाना, विस्फोटक एवं फायर्स वकर्स निर्माण एवं संग्रहण और चारकोल निर्माण।