नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के कुछ नेताओं के जुबान फिसली और उन्होंने विवादित बयान दे डाला। चुनाव आयोग ने उनके प्रचार पर रोक लगा दी थी और अब खुद केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को स्वीकारा कि ऐसे बयानों से संभवत: पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ा है। बता दें कि हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी का सरकार बनाने का सपना एकबार फिर टूट गया। पिछले बार की तुलना में बीजेपी ने भले ही थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार बनाने की स्थिति में नहीं पहुंच पाई। वहीं, चुनाव में हार स्वीकार करते हुए शाह ने कहा कि भगवा पार्टी पहले से ही दिल्ली हारी हुई थी।
विवादित बयानों ने किया नुकसान
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेता व वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने 'देश के गद्दारों…' बयान देकर विवाद पैदा कर दिया था। इससे जुड़े सवाल पर कहा, 'देश के गद्दारों…' जैसा बयान नहीं दिया जाना चाहिए था। पार्टी ऐसे बयानों से संभवतः नुकसान पहुंचा है।' हालांकि, उन्होंने आगे पीएम मोदी पर राहुल गांधी के 'डंडा' बयान का भी जिक्र किया और कहा कि बीजेपी नेताओं के बयानों को जिस तरह से जोर-शोर से दिखाया गया, उस तरह से राहुल गांधी के बयान को नहीं दिखाया गया।
पहले ही हारे हुए थे दिल्ली
गृह मंत्री शाह ने दिल्ली चुनाव में कई रैलियां और रोड शो किए थे। उन्होंने पार्टी की हार स्वीकारते हुए कहा, 'मोदी जी अभी कुछ ही समय पहले सबसे बड़े बहुमत के साथ विजयी रहे। अब सही बात है कि कुछ राज्यों में सफलता नहीं मिली लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बीजेपी से लोगों का विश्वास उठा है। महाराष्ट्र में हम चुनाव जीते हैं। हरियाणा में केवल 6 सीटें कम हुईं। झारखंड में हम चुनाव हारे और दिल्ली में पहले से हारे हुए थे बावजूद इसके सीट और वोट पर्सेंट बढ़ा है।'
शाह ने समिट में केंद्र सरकार के अहम फैसलों और उस पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को लेकर भी अपनी राय रखी। उन्होंने आर्टिकल 370, नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल पर सरकार का पक्ष रखा।
बता दें कि 7वीं विधानसभा के लिए कराए गए चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी जीत दोहराते हुए जबरदस्त प्रदर्शन किया। इसे 5 सीटों का नुकसान भले झेलना पड़ा हो, लेकिन प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 70 सदस्यीय विधानसभा की 62 सीटें अपने नाम की। वहीं, कांग्रेस जहां खाता तक नहीं खोल पाई और 63 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। जबकि मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा। 2015 में चुनाव की तुलना में इसे 5 सीटों का फायदा हुआ है।