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सुस्ती, महंगाई के बीच इकॉनमी पर अच्छी खबर

नई दिल्ली
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। जनवरी में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.59 फीसदी पर पहुंच गई जो पिछले छह सालों का उच्चतम स्तर है। हालांकि इसमें कुछ अच्छी खबर भी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 महीने के बाद जनवरी में यह पहली बार हुआ है जब ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई शहरी क्षेत्रों के मुकाबले तेजी से बढ़ी है। आर्थिक जानकार इसे सकारात्मक संकेत बता रहे हैं, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मांग में कमी की समस्या से ही जूझ रही है।

खेती का योगदान जीडीपी में 15 फीसदी
भारत की दो तिहाई आबादी रूरल सेक्टर पर निर्भर है और 2.8 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी में खेती का योगदान 15 फीसदी है। महंगाई दर मे तेजी का मतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मांग और खर्च में तेजी आई है। एल ऐंड टी फाइनैंशल होल्डिंग के मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेग का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में मांग में तेजी के संकेत सकारात्मक हैं।

ग्रामीण महंगाई दर शहरों के मुकाबले ज्यादा
जनवरी महीने में ग्रामीण महंगाई दर 7.73 फीसदी रही जो शहरी महंगाई दर 7.39 फीसदी से ज्यादा है। जून 2018 के बाद पहली बार ग्रामीण महंगाई दर शहरों के मुकाबले ज्याद रही। भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर कहा जा रहा है कि एक तरफ महंगाई दर छह सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जबकि ग्रोथ रेट 11 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। इस स्थिति को स्टैगफ्लेशन (मुद्रास्फीतिजनित मंदी) कहा जाता है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर का लक्ष्य 2-6 फीसदी के बीच रखा है। वह चाहता है कि यह 4 फीसदी के आसपास रहे।

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