कवर्धा
छत्तीसगढ़ सरकार ने धान खरीदी (Paddy Purchase) का समय बढ़ाने का फैसला तो ले लिया, लेकिन ये अब उनके ही गले की फांस बनती नजर आ रही है. कवर्धा (Kawardha) जिले में धान खरीदी के मुद्दे को लेकर किसानों (Farmer Issue) की नाराजगी सामने आई है. धान के शुरुआती दिनों से लेकर आज तक किसी न किसी बात को लेकर सरकार और किसानों के बीच तनातनी की स्थिती बनती रही है. ताजा मामला धान खरीदी की डेट बढ़ाने को लेकर है.
सरकार ने किसानों के भारी दबाव के चलते धान खरीदी के डेट में पांच दिन की बढ़ोत्तरी की है, जिससे किसान खुश नहीं है और ना ही इस फैसले को मानने को तैयार हैं. उनका कहना है कि बेमौसम बारिश और सरकार के अड़ियल रवैये के चलते कई दिनों तक धान खरीदी बंद रही है. पंजीकृत किसान अपना धान नहीं बेच पाए हैं. लिहाजा मार्च तक का समय उन्हें मिलना चाहिए ताकि सभी किसान बिना किसी परेशानी के आसानी से अपना बचा धान बेच सकें. फिलहाल इस पर सरकार ने अपना रूख साफ नहीं किया है. 20 फरवरी तक ही धान की खरीदी की जाएगी.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस (Congress) लोकलुभावन वादे कर सत्ता में तो आ गई, लेकिन उसके किए गए वायदे उसके लिए ही गले की फांस बनती जा रही है. उन्हीं से एक वादा है धान खरीदने का. एक-एक दाना धान खरीदने के चक्कर में कांग्रेस किसानों के गुस्से का शिकार बनते जा रही है. सरकार अपने वादे के मुताबिक धान की खरीदी तो जरूर की,लेकिन इतने अड़ंगे लगाई कि किसान परेशान हो गए. इसका खामियाजा कांग्रेस को पंचायत चुनाव में भुगतना पड़ा. भाजपा तो पंचायत चुनाव के परिणाम से गदगद है. उसे लग रहा है कि किसानों की नराजगी का फायदा उसे मिला है.
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में ताबड़तोड़ बहुमत मिला था, जिसकी एक वजह किसान ही थे जिन्होंने 15 साल के भाजपा शासन काल को जड़ से उखाड़ने में अहम साबित हुआ. 15 साल सत्ता में मदमस्त भाजपा को जनता ने 15 सीट में ही समेट दिया, लेकिन कांग्रेस अपने वायदे व काफी हद तक भाजपा (BJP) से आमजन की नाराजगी के चलते जीतकर आई. पर अब कांग्रेस आमजन के आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रही है. समर्थन मूल्य पर खरीदी से किसानों को फायदा हो रहा है. इसलिए यह मामला सीधे रूप से किसानों के आर्थिक मामले से जुड़ा हुआ है, जिस पर वे किसी तरहसे बट्टा लगने नहीं देना चाह रहे हैं.
धान खरीदी को लेकर इस साल कांग्रेस सरकार की मंशा पहले दिन से ही साफ हो गई थी. लगने लगा था कि किसानों के धान खरीदने की नियत सरकार की रही ही नहीं है. वह तो पहले दिन से इसी जुगत में लग गई कि कैसे किसान कम से कम धान समिति के माध्यम से बेच पाए. इसलिए रोज नए अघोषित नियम लादने में लगी रही, जिसे लेकर किसान व सरकार आमने-सामने आते रहे हैं. अब सरकार किसानों का धान ज्यादा खरीदती है,तो खजाने पर बोझ बढ़ेगा. नहीं खरीदती है तो किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा. एक तरह से कहें तो धान खरीदी सरकार के गले का फांस बन गई है. धान खरीदी में सरकार कड़े कदम भी उठा रही है. अवैध धान और कोचियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई. जिले में अब तक लाखों रूपए के धान जब्त किए जा चुके है.