मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: ब्रजेश को उम्रकैद

मुजफ्फरपुर
बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को उसके शेष जीवन के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 20 जनवरी को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इस मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इन सभी को शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों के यौन उत्पीड़न का दोषी करार दिया गया था। इसी केस में कोर्ट ने 11 अन्य लोगों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

इसके अलावा अदालत ने एक आरोपी मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को 1045 पन्नों के अपने आदेश में दोषी ठहराया था। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था।

आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट में दोषी ब्रजेश ठाकुर
बिहार पीपल्स पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके ब्रजेश ठाकुर को कोर्ट ने दोषी पाया था। पॉक्सो ऐक्ट की धारा 6 के तहत ब्रजेश ठाकुर को नाबालिग बच्चियों के यौन उत्पीड़न और आईफीसी की धाराओं के तहत रेप और गैंगरेप के मामले में दोषी पाया गया था। कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर को आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 324 (खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने), धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने) समेत कई मामलों में दोषी पाया गया है।

मुजफ्फरपुर के बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पूर्व प्रमुख वर्मा, सीडब्ल्यूसी के सदस्य कुमार और अन्य आरोपी गुड्डू पटेल, किशन कुमार और रामानुज ठाकुर को पॉक्सो कानून के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न, और आईपीसी एवं पॉक्सो ऐक्ट के तहत आपराधिक षड्यंत्र, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, चोट पहुंचाने, बलात्कार के लिए उकसाने और किशोर न्याय कानून की धारा 75 के तहत दोषी ठहराया गया था। दो आरोपियों- राम शंकर सिंह और अश्विनी को आपराधिक षड्यंत्र और बलात्कार के लिए उकसाने के अपराधों का दोषी पाया गया। इनके अलावा महिला आरोपियों- शाइस्ता प्रवीन, इंदु कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी को आपराधिक षड्यंत्र, बलात्कार के लिए उकसाने, बच्चों के साथ क्रूरता और अपराध होने की रिपोर्ट करने में विफल रहने का दोषी पाया गया था।

कुछ दोषियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा था कि वे फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। इस मामले में बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री और जेडीयू की तत्कालीन नेता मंजू वर्मा को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा था, जब उनके पति के ठाकुर के साथ संबंध होने के आरोप सामने आए थे। मंजू वर्मा ने 8 अगस्त, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले को 7 फरवरी, 2019 को बिहार के मुजफ्फरपुर की स्थानीय अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत परिसर की पॉक्सो कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह मामला टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने के बाद सामने आया था।

क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के बालिका गृह में 34 छात्राओं के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। सुनवाई के दौरान पीड़ितों ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें नशीला दवाएं देने के साथ मारा-पीटा जाता था, फिर उनके साथ जबरन यौन शोषण किया जाता था। केस में सीबीआइ की चार्जशीट के मुताबिक मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड कर्मचारी भी शामिल थे। वे भी मासूम बच्चियों को दरिंदगी का शिकार बना रहे थे। यह भी आरोप है कि बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी बच्चियों के साथ गलत काम में शामिल थे।

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