पटना
आरजेडी में बाहुबल का नाता पुराना है. मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad shahabuddin) से लेकर राजन तिवारी (Rajan Tiwari) तक, जैसे बाहुबलियों का ठिकाना आरजेडी (RJD) ही रहा है. हालांकि बदलते समय में तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) ने ऐसे बाहुबलियों पर लगाम लगाने की कोशिश तो की है, लेकिन सफल होना इतना आसान भी नहीं. देखा जाए तो आज भी आरजेडी के भीतर बाहुबल और 'गन कल्चर' हावी है .
इसकी बानगी रविवार को तब भी दिखी जब तेजस्वी यादव अपनी नई टीम के साथ बैठक कर रहे थे. इस बैठक में शामिल होने आए छपरा(सारण) के नए ज़िलाध्यक्ष सुनील राय जब राबड़ी आवास पहुंचे तो उनका ताम झाम देखने लायक था.
ज़िलाध्यक्ष के साथ 5-5 गाड़ियां. सैकड़ों की संख्या में नारा लगाते उनके समर्थक और ऊपर से अत्याधुनिक हथियार से लैस उनके प्राइवेट गार्ड उन्हें दबंग लुक दे रहा था.
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव के बाद तेजस्वी यादव ने जब से आरजेडी की कमान संभाली है, पार्टी में रोज नए नए बदलाव किए जा रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव पुराने ज़िलाध्यक्षों को हटाकर नया सामाजिक समीकरण बनाने को लेकर हुआ है.
तेजस्वी ने अपनी नई टीम से पुराने ज़िलाध्यक्षों को आउट करके एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है. कुछ इसी तरह तेजस्वी अपनी पार्टी से बाहुबलियों को भी दूर करना चाहते हैं.
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान जब बाहुबली अनंत सिंह जब लालटेन थामना चाहते थे तो तेजस्वी ने इसका खुलकर विरोध करते हुए कहा था कि वो अपराध और अपराधियों से कोई समझौता नहीं करेंगे.
हालांकि तेजस्वी के दावे और हकीकत के बीच का अंतर आज साफ समझ आ गया जब उनकी टीम का एक ज़िलाध्यक्ष हथियार और ताम झाम के साथ बैठक में शामिल होने पहुंचा.