वाराणसी
संत शिरोमणि रविदास जी (Saint Ravidas) की 643वीं जयंती के मौके पर रविवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर (वाराणसी) में मत्था टेक कर आर्शीवाद लिया. फिर रैदासी परंपरा के मुताबिक लंगर छकने के बाद उनके अनुयायियों को संबोधित किया. यहां से प्रियंका जुलूस की शक्ल में सत्संग पंडाल में पहुंची. जहां संत रविदास के अनुनायियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमे संत रविदास के आदर्शों पर चलते हुए धर्म, जाति के आधार पर किसी से नफरत नहीं करनी चाहिए. वहीं प्रियंका ने किसी भी सियासी पार्टी और नेता का नाम लिए बगैर इशारों इशारों में कहा कि जिस तरीके से आज के दौर में नफरत की बातें सामने आ रही है, वैसा नहीं होना चाहिए.
इस मौके पर प्रियंका गांधी ने संत रविदास की पंक्तियां भी सुनाईं. ‘ऐसा चाहूँ राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न छोट-बड़ों सब सम बसै, रैदास रहे प्रसन्न’.
संत रविदास के प्रकाशोत्सव के मौके पर भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर भी पहुंचे. एक वक्त जब लंगर छककर प्रियंका सत्संग पंडाल की ओर से अपनी गाड़ी से जा रही थीं, उसी वक्त चंद्रशेखर एक दुकान में खड़े थे. प्रियंका ने गाड़ी से निकलकर चंद्रशेखर को आवाज देते हुए उनका हाल चाल पूछा. ये दृश्य वहां चर्चा के केंद्र में रहा.
प्रियंका के जुलूस में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब जुलूस के पीछे एक बुजुर्ग कांग्रेस कार्यकर्ता कांग्रेस का झंडा लिए जा रहा था. लेकिन आयोजकों की ओर से इस बात की साफ मनाही थी कि किसी भी तरह का सियासी बयान और बैनर और पोस्टर कार्यक्रम में नहीं रहेंगे. इस बात को लेकर संत रविदास के अनुयायियों और कांग्रेस कार्यकर्ता के बीच धक्का मुक्की हो गई. अंत में अनुनायियों ने कार्यकर्ता के हाथ से झंडा लेकर फेंक दिया.
दरअसल साल में एक बार होने वाले इस आयोजन में संत रविदास के लाखों श्रद्धालु काशी में इस खास दिन मौजूद रहते हैं. देश के करीब 24 प्रदेशों के साथ साथ विदेशों से भी बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. यही नहीं, खुद पंजाब से चलकर डेरा सच्चखंड बल्लां के गद्दीनशीन संत निरंजन दास भी संत रविदास की इस जन्मस्थली में मौजूद रहे. इस स्थान का महत्व ऐसा समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और मायावती भी यहां मत्था टेक चुके हैं. हर साल कांगेस की ओर से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी यहां पहुंचती थी लेकिन इस बार खुद प्रियंका गांधी का यहां पहुंचना बड़ा संदेश देता है.