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ब्लड टेस्ट बताएगा भविष्य में अंधेपन का डर तो नहीं, भारत में 40 फीसदी बुजुर्ग इस समस्या से जूझ रहे

मैनचेस्टर
एक ब्लड टेस्ट से पूरी दुनिया में अंधेपन के सबसे बड़े कारण का इलाज हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि बढ़ती उम्र के चलते आंखों की रोशनी कम होना (एएमडी) लोगों के अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन ब्लड के एक टेस्ट से यह पता चल सकता है कि भविष्य में यह समस्या किसे हो सकती है। शोध के नतीजों से यह उम्मीद जगी है कि एएमडी की आशंका का पहले पता चलने से इसका इलाज हो सकता है।

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि एएमडी के मरीजों के खून में एफएचआर-4 प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है, जिसका पता खून की जांच से लग सकता है। शोध के सह-लेखक पॉल बिशप ने कहा कि करीब 1000 मरीजों का अध्ययन करने के बाद पता चला कि एफएचआर-4 प्रोटीन की इस बीमारी में बड़ी भूमिका होती है।

शोधकर्ताओं ने नेत्रदान के लिए जमा की गई आंखों का भी अध्ययन किया। इसमें भी उन्हें मैकुला में एफएचआर-4 की उपस्थिति का पता चला। आंखों की रोशनी बनाए रखने में मैकुला की बड़ी फूमिका होती है, लेकिन एएमडी के मरीजों में इसकी गतिविधियां कमजोर पड़ जाती हैं। मरीज की आंखों में धुंधलापन आ जाता है, उसे पढ़ने में और लोगों का चेहरा पहचानने में समस्याएं आने लगती हैं।

एएमडी आम तौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है, हालांकि इसकी टाइमिंग में फर्क हो सकता है। उसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती उम्र ही है, लेकिन धूम्रपान जैसी आदतें और आनुवांशिकता की भी इसमें भूमिका हो सकती है। नेचर पत्रिका में छपे शोध के नतीजों में बताया गया है कि खून में एफएचआर-4 प्रोटीन का स्तर पता कर एएमडी का पूर्वानुमान लगाना संभव हो सकता है। ऐसी दवाएं भी तैयार की जा सकती हैं जो एफएचआर-4 की मात्रा को कम कर सकते हैं।

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