मथुरा
राधारानी की जन्मभूमि रावल गांव में गुरुवार को राधा जी का छठी पूजन धूमधाम से किया गया। मंदिर सेवकों ने 101 किलो गोमरी बंटवाकर उल्लास बिखेरा। मंदिर से बधाई लुटाईं गईं। कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति राधाजी का प्राकट्योत्सव 6 सितंबर को मनेगा। भक्ति का समंदर छलकने लगा है। गौड़ीय, हरिदास, बंगाली संप्रदाय तथा दूर दराज के श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है।
श्री कृष्ण से 11 माह बड़ी थीं राधा-
राधाजी कृष्ण से 11 महीने बड़ी थीं। राधा ने कन्हैया के जन्म होने तक अपनी आंखें नहीं खोली थीं। राधारानी ने अपने नेत्र खोलकर सबसे पहले अपने प्रियतम कृष्ण के दर्शन किए। कान्हा की आल्हादिनी शक्ति तथा ब्रज की अधिष्ठात्री के रूप में प्रसिद्ध राधा जी की छठी का पूजन उनके जन्मोत्सव के एक दिन पहले मनाया जाता है। माना जाता है कि कंस ने अपनी मृत्यु के भय से गोकुल के सभी बच्चों की हत्या करने का आदेश दिया था। कंस ने अनेक मायावी राक्षस बच्चों का मारने के लिए भेजे थे। इसी दौर में जब नि:संतान बृषभान और रानी कीर्ति को रावल के सरोवर में कमल पुष्प पर राधा जी मिली। ब्रषभान और कीर्ति ने राधा को कंस से बचाने के लिए अपनी खुशी अपने तक ही सीमित रखी। बाद में कीर्ति रानी छठी पूजन भूल गईं। इसके बाद दूसरा जन्म दिन आ गया। कान्हा का गोकुल में आगमन हो गया। नंदोत्सव में बृषभान, कीर्ति रानी के साथ राधा को भी जाना था।
कहा जाता है कि बिना छठी पूजन के राधा को नंद घर नहीं ले जाया जा सकता था और नहीं राधा जन्मोत्सव मनाया जा सकता था। यह बात किसी वृद्ध महिला ने कीर्ति रानी को बताया। यह जानने के बाद कीर्ति रानी ने राधा की छठी पूजीं। इसी परंपरा का पालन करते हुए गुरुवार को राधा जी का छठी पूजन किया गया।
आज उमड़ेगा श्रद्धा का रेला :
बलदेव मार्ग पर 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रावल गांव में मौजूद प्राचीन मंदिर के सेवायत ललित मोहन कल्ला मुखिया, आयोजक राहुल कल्ला के अनुसार 6 सितंबर को प्रात: 4.30 बजे मंगला और 5 बजे जन्मोत्सव के दर्शन होंगे। 5.30 से 6 बजे तक 101 पंचामृत से अभिषेक होगा। श्रंगार के दर्शन 8.30 बजे होंगे। अपरान्ह दो बजे गौड़ीय संत-भक्त चाव लेकर आएंगे। बधाई गायन सात सितंबर को दोपहर एक बजे आयोजित होगा।
प्रकाश से जगमग हुआ रावल मंदिर सेवायत, सेवक जयप्रकाश त्यागी आदि की टीम ने गुरुवार को मंदिर और मेला ग्राउण्ड व आम रास्ता बिजली से जगमग कर दिया। 10 जगह चलेंगे भंडारे मेला फील्ड और मंदिर के अंदर दस स्थानों पर भंडारे चलेंगे। भक्त समुदाय ने भक्तों को प्रसाद छकाने के लिए तैयारियां शुरू कर दीं हैं।