भोपाल
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम महाघोटाले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. एसटीएफ ने आज दो और डॉक्टरों के खिलाफ दो नयी FIR दर्ज की हैं. इन पर 2009 में जाली दस्तावेज़ों के ज़रिए एडमिशन लेने का आरोप है. STF ने आरोपी MBBS डॉक्टरों को नोटिस जारी कर बयान के लिए बुलाया है. इन्हें मिलाकर अभी तक STF 15 FIR दर्ज कर चुकी है.
कमलनाथ सरकार बनने के बाद गृहमंत्री बाला बच्चन के निर्देश पर एसटीएफ व्यापम घोटाले की पेंडिंग शिकायतों की जांच कर रही है. 197 पेंडिंग शिकायतों की जांच के बाद FIR दर्ज करने का सिलसिला जारी है. अभी तक कुल 15 FIR दर्ज हो चुकी हैं. इनमें से ज़्यादातर PMT में एडमिशन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े की हैं. 14 एफआईआर पीएमटी से जुड़ी हैं, जबकि एक एफआईआर आरक्षक भर्ती परीक्षा से जुड़ी है. सभी केस में जांच जारी है. STF ने फिलहाल इनमें से एक भी मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की है. लेकिन अपनी गिरफ्तारी के डर से सभी आरोपी कोर्ट की शरण में अग्रिम ज़मानत की अर्जी लगा रहे हैं. इनमें से तीन आरोपी डॉक्टरों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी है.
2 नई FIR
STF ने PMT 2009 में गोरखपुर में रहने वाले एमबीएसएस डॉक्टर मनीष पांडेय निवासी और चित्रकूट के विकास सिंह के खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज की हैं. दोनों आरोपियों ने फर्ज़ी मूल निवासी प्रमाण पत्र के ज़रिए मध्यप्रदेश राज्य कोटा का लाभ लेकर भोपाल के सरकारी गांधी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया. एसटीएफ एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि दोनों आरोपी एमबीबीएस डॉक्टर हैं और वर्तमान में नौकरी भी कर रहे हैं.
सिर्फ पेंडिंग शिकायतों की जांच
STF सिर्फ उन शिकायतों की जांच कर रही है जो शिवराज सरकार के समय से पेंडिंग हैं. एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी ने बताया कि मध्यप्रदेश में व्यापम की भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में माफिया लंबे समय से सक्रिय है. वो गलत तरीकों का इस्तेमाल कर अयोग्य छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिला रहा है. इस घोटाले में वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेताओं, दलालों और अभ्यार्थियों का गठजोड़ सामने आने के कारण इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2015 में सीबीआई को सौंपी थी.