रायपुर
निशक्तजनों के नाम पर भ्रष्टाचार पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई को केस दर्ज करने का आदेश दिया है, लेकिन आज राज्य सरकार ने भी इस आदेश के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। दूसरी तरफ सीबीआई ने भोपाल में प्रकरण को लेकर एफआईआर दर्ज कर दी है। कोर्ट ने 7 दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।
दो दिन पहले राज्य शासन के उच्चस्तरीय सूत्रों का इस बारे में कहना था कि राज्य कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा क्योंकि यह पूरा घोटाला पिछली भाजपा सरकार के समय हुआ था, उस समय के अधिकारियों को अदालत ने पहली नजर में जिम्मेदार माना है, भाजपा सरकार के ही मुख्य सचिव ने जांच में भ्रष्टाचार माना था, और भाजपा सरकार के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से पक्ष रखा था। वर्तमान कांगे्रस सरकार के उच्चस्तरीय सूत्रों ने यह भी कहा था कि इस मामले का वर्तमान सरकार से कुछ भी लेना-देना नहीं है, इसलिए भूपेश-सरकार कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी।
आज सुबह हाईकोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर कर दी गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित भ्रष्टाचार के मामले में राज्य के आधा दर्जन वर्तमान और पूर्व बड़े आईएएस अफसरों के खिलाफ भी टिप्पणी की थी, और ऐसा माना जा रहा है कि सीबीआई इनके खिलाफ नामजद रिपोर्ट भी कर सकती है। मामले में पूर्व आईएएस अफसर विवेक ढांढ, सुनील कुजूर, एमके राऊत, बाबूलाल अग्रवाल, और वर्तमान आईएएस आलोक शुक्ला सहित कई अन्य विभागीय अफसरों के नाम शामिल हैं। इसी मामले में रमन सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहीं, वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह का नाम भी है।
यह पूरा घोटाला राज्य निशक्तजन संस्थान नाम की एक संस्था बनाकर किया गया था, और हाईकोर्ट ने 30 जनवरी को सीबीआई को आदेश दिया था कि एक हफ्ते के भीतर इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए, और उसके 15 दिन के भीतर विभागों से संबंधित कागजात जब्त कर लिए जाएं। सीबीआई सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एफआईआर की तैयारी की जा रही है, और अदालत की दी गई समयसीमा दो दिनों में खत्म हो रही है। हाईकोर्ट में इस मामले में तेजी से बहस इसलिए भी हो रही है कि अगर पुनर्विचार याचिका के रास्ते कोई राहत नहीं मिलती है, तो एफआईआर दर्ज होगी, और केंद्रीय मंत्री, मौजूदा अफसर और भूतपूर्व अफसर इसके घेरे में रहेंगे।